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यूंही तो गुलाब हमारी जिंदगी संवार देता है अगर तक़दीर ख़राब हो हमारी तो जिंदगी भी बिगाड़ देता है ।। -Narendra Parmar
हम तुम दूर होते हुए भी एक है हुस्न से नहीं मगर रुह से तो एक हैं ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "
हर किसी के नसीब में सुख समृद्धि नहीं होता है किसी को चांदी की थाली में परोठा तो किसी को कागज़ के टुकड़ों में भी रोटी नसीब नहीं होता है ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "
नहीं है कोई इंसान के अलावा दुनिया में किसी की बस्ती । हर किसी को हमने हीं बनाया है हर धर्म के भगवान से लेकर नारी को शक्ति ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "
नहीं है कोई मेरा जो मुझे अच्छी तरह समझने वाला बाकी तूं ही तो है जो मुझसे लेकर मेरी रूह तक जानने वाला ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "
ईश्वर, अल्लाह, ईसू भगवान , गुरु नानक,दुर्गा माता सब है हिंदुस्तान में फ़िर भी कोरोना का प्रकोप जारी है इसका मतलब यही है कि भगवान का भैजा हुआं नहीं है ऐ तो दुनिया में रहने वाले हर इंसान का पाप है कोरोना ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "
जैसा हम सोचते हैं वैसा कभी होता नहीं हैं चाहें बेइंतहा मोहब्बत करलें हम उनसे फ़िर भी वो कभी हमारा होता नहीं हैं ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "
ऐसे तो हम जीते हैं जिंदगी शान से फ़िर भी हम जीते जी मर गए हैं तुम्हारी की हुई बेवफ़ाई से हम जीते जी दफ़्न भी हो गए हैं ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "
ऐसे तो पुरुष रोते नहीं है इश्क में बाकी रोते तो बहुत है मगर अपना दर्द किसी को कहेंते नहीं है ।। ( ऐ मेरी सोच है किसी को भी अपने उपर लेने की जरूरत नहीं है ) नरेन्द्र परमार " तन्हा "
मेरे जैसा आशिक तुझे नहीं मिलेगा तुम ढूंढ लो पुरे हिंदुस्तान में ? मेरे जैसा साथी तुझे नहीं मिलेगा ।। नरेन्द्र परमार " तन्हा "
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