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Naksh Parmar

Naksh Parmar

@nakshparmar4032


तुम्हें अपना कहने की तमन्ना थी दिल में,
लबों तक आते आते तुम ग़ैर हो गए..

तुम्हें अपना कहने की तमन्ना थी दिल में,
लबों तक आते आते तुम ग़ैर हो गए..

साथी तो मुझे सुख में चाहिए…..

दुःख में तो मै अकेलi ही काफी हूँ……

दीखाने के लीए तो हम भी बना सकते है ताजमहल,मगर मूमताज को मरने दे हम वो शाहजहा नही…!

पता है मैं हमेशा खुश क्यों रहता हूँ ?
क्योंकि मैं खुद के सिवा किसी से
कोई उम्मीद नहीं रखता..!

नामुमकिन ही सही मगर…
मोहब्बत ‘तुझ’ ही से है…!!

यकीन था कि तुम भूल जाओगे मुझे.,
खुशी है कि तुम उम्मीद पर खरे उतरे.!

यह आरजू नहीं कि किसी को भुलाएं हम,
न तमन्ना है कि किसी को रुलाएं हम,
जिसको जितना याद करते हैं,
उसे भी उतना याद आयें हम.

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शौक से तोड़ो दिल मेरा मै क्यू परवाह करू,,,
तुम ही रहते हो इसमे अपना ही घर उजाड़ोगे…

‘समय’ और ‘समझ’ दोनों एक साथ खुश किस्मत लोगों को ही मिलते हैं…
क्योंकि……..,
अक्सर ‘समय’ पर ‘समझ’ नहीं आती
और ‘समझ’ आने पर ‘समय’ निकल जाता है………

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