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MoonsFeeling

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Eid Mubarak

#रखना मेरा दिल सम्भाल के
वरना फैंक देना इसे भी बिन सम्भाल के

तूने मुझे छोड़ा है
तकलीफ तुझे नहीं
मैं अपने आप को दूंगा
हर उस रात को दूंगा
सीहाई से नहीं
अपने आंसु से लिख कर उस किताब को दूंगा
अब तकलीफ़ तुझे नहीं , मैं अपने आप को दूंगा
अब तकलीफ़ तुझे नहीं ,मै अपने आप को दूंगा

मजहब में पर्दे के पीछे रहा करती थी
उसे वहां से निकाल कर मैंने दुनिया दिखाई
और आज वो दुनिया देखने मेरे बिना ही निकल गई
सुना है उसने आजकल नया बाबू शोना जान बनया है
अब जलील करके तेरे हर उस शोना जान को दूंगा
अब तकलीफ़ तुझे नहीं मै अपने आप को दूंगा
अब तकलीफ़ तुझे नहीं मै अपने आप को दूंगा

लिख रहा हूं उन पन्नों पर तेरी बेवफ़ाई,
एक बार तू पूछ रही थी ना
तुम मुझसे कितना प्यार करते हो
तो सुन लिखित में तेरे हर उस हिसाब को दूंगा
अब तकलीफ़ तुझे नहीं , मैं अपने आप को दूंगा
अब तकलीफ़ तुझे नहीं मै अपने आप को दूंगा

कभी प्यार से तेरा रास्ता रोका करता था
आज देख उन रास्तों से साफ हो चुका हूं
अब तू उन राहों पर मिलेगी ना
तो नकार के तेरी हर उस बात को दूंगा
अब तकलीफ़ तुझे नहीं अपने आप को दूंगा
अब तकलीफ़ तुझे नहीं मै अपने आप को दूंगा

आज याद करके आंखे नम हैं मेरी,
चांदनी रात में तू मेरी बाहों में सोया करती थी ना
घंटो बैठ के प्यार भरी बातें किया करती थी ना
खुद को चांदनी ,मुझको चांद बोला करती थी ना
अब रात भर अकेला बात करके उस चांद को दूंगा
अब तकलीफ़ तुझे नहीं मै अपने आप को दूंगा
अब तकलीफ़ तुझे नहीं मै अपने आप को दूंगा
by #MoonsFeeling
© Chand Hussain

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मॉब लिंचिंग
#Justice

शहर में अनजान
नाम उसका अनजान
वह जिन लोगों के बीच में फसा
वो थे इंसान के नाम पर हैवान
क्या बताऊं उन दरिंदों ने बुरी तरह उसको फांसा अपने पास
अभी तो शुरुआत हुई थी अभी थी उसकी आंखों में एक आस
कोई तो होगा भीड़ में जो उसे आकर बचा लेगा
इन शैतानों को कोई तो जवाब देगा.................✍✍✍
जिनसे थी उसकी आस सब ने भीड़ में खड़े होकर अपना हाथ लपेटा
अगर वो उस हालत में दे सकता जवाब तो उनके लात धूंसो का भी देता
पर उन दरिंदों का जुल्म बढ़ता गया
उसको मज़हब के नाम पर छेड़ा गया
बस वो अंदर ही अंदर मरता गया..................✍✍✍
किसी ने लात मारी तो किसी ने ताने
भीड़ में कुछ तमाशा देखने वाले भी हो रहे थे दीवाने
पर कुछ लोगों का दिल भी पसीज गया फिर भी वो बन रहे थे अंजाने,
अब तो वो भी पूरा तमाशा देख रहे थे अपने हाथ बांधे
हैवान, शैतान, बुजदिल लोग उस पर वार पर वार कर रहे थे
कुछ लोग खड़े देख रहे थे, तो कुछ लोग उस पर पत्थर कंकर फेंक रहे थे..............✍✍✍
जिसके साथ ये घटना बीती थी वो पहले सबके लिए अनजान था
बाद में कानूनी शिनाख़्त के बाद पता चला नाम उसका सुल्तान था
वह अपने घर का इकलौता चिराग था
पर बेचारा वो उस दिन अपने घर कैसे लोटता
क्या बताऊं आंखें नम़ कर के लिख रहा हूँ
उस दिन तो वहाँ जुलूस निकला था उसकी मौत का.....✍✍✍
© chand Hussain
iG - MoonsFeeling

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Zindagi by MoonsFeeling

एक हारा हुआ इंसान हूँ
चार कदम चल कर थक जाता हूँ
थक गया हूँ इस जिंदगी से
बस अपने घर लौटना चाहता हूँ ------------------〽️

यार कितनी दूर है मंजिल, और कितना चलना होगा
इतनी तो गलतियां भी नहीं करता मैं,
क्या अब पल-पल संभलना होगा,
लोगों से सुना है कि
दिन में पसीने ही पसीने में तर रहता हूँ
क्या मैं इतनी मेहनत करता हूँ,
जो मैं अपने आप से बेखबर रहता हूँ
थक गया हूँ इस जिंदगी से
बस अपने घर लौटना चाहता हूँ ------------------〽️

दिन में पसीना है और रात में आंसू
पसीना तो पोछ लिया, पर आंसू कैसे पोछूं
बहुत रो लिया अब रोना नहीं चाहता हूँ
अब मैं सुकून से भरा एक आशियाना चाहता हूँ
थक गया हूं इस जिंदगी से
बस अपने घर लौटना चाहता हूँ----------------〽️

जिंदगी कितनी तकलीफ देती है
कुछ पास हो उसे भी छीन लेती है
कुछ पाने के लिए कितना तरसाती है
और कुछ खोने के लिए झट से मान जाती है
यहां तो कोई अपना नहीं, लोग भी फरेबी
तुम ही बताओ, मैं शरिफ ,मेरी कैसे चलेगी
जिंदगी से तो हार गया हूँ
लोगों से भी हारना चाहता हूँ
थक गया हूं इस जिंदगी से
बस अपने घर लौटना चाहता हूँ ------------------〽️

हम कितनी मेहनत करते है कुछ चंद सिक्को के लिए
उम्रे गुजर जाती है छोटी छोटी खुशियों को तालशने में
मै छोटी सी उम्र में ओर,
आने वाली बड़ी सी जिंदगानी में
माना मै अपने पास सब रखता हूं
दर्द ,गम, ख़ुशी,हसी,
दोस्त,प्यार, परिवार, जिम्मेदारियां
पर इस बड़ी सी जिंदगी में
मैं कुछ वक्त अकेला रहना चाहता हूं
थक गया हूं इस जिंदगी से
बस अपने घर लौटना चाहता हूं_
------------------------
© chand Hussain (Original)

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