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सिलसिला कुछ यू चलता रहा की पल वो सारे जिसमे कुछ तुम कुछ में कुछ हम थे यही कहता रहा जब सामने आए मोड रास्तों मे तब साथ छुटने का डर बढ़ता रहा।आंखो ही आंखो में "बस अब नहीं होगा हमसे ये अलग रास्तों का सफर" यही में उनसे और वो मुझसे केहता रहा।।Mitesh
जरूरी नहीं के वो हर वक्त एक साथ रहेते हो लेकिन है ये जरूर के विचार में हर वक्त वो एक साथ ही हो। -Mitesh Dna
इस कदर रूठने पर अब पल पल याद आता है वो "हर पल"आपका। हमे नही पता था आप इस कदर रूठे रहेंगे की नामूमकीन हो जाए हमारे लिए साथमे जीना वहीं "हर पल" आपका।। -Mitesh.Dna
क्यूं इतना सिखाए जा रही हो । ए ज़िंदगी । हमे कौन सी सदियां बीतानी है यहां -Mitesh.Dna
किसीको इनकार के लिए अगर,मगर,पर,वर,लेकिन ये सारे शब्द भी कम लगते है..। । और । किसीका सच्चा साथ निभाने के लिए उसके "ठीक है" जैसे दो शब्द ही काफी लगते है।। -Mitesh.Dna
क्यों..आखिर क्यों कोसते है लोग इस जींदगी को। कौन इन्हे समझाए की जीने के लिए सिर्फ एक जझबा ही काफी है।। -Mitesh.Dna
જિંદગી આ નદીમાં વહેતા પાણી જેવી છે. જેને ખોબામાં ભરી શકાતી નથી અને ક્ષણ ભર માટે કોઈ એક મનગમતી લહેરને હંમેશા માટે સળંગ માણી શકાતી પણ નથી_ મિતેશકુમાર .A
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