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।। नींव के पत्थर।। नींव के घोर उपेक्षित पत्थरों पर स्थिर मंदिर, मस्ज़िद, गिरजा और गुरुद्वारे के समुन्नत शिखर के, हे! स्वर्ण कलश अपनी स्वर्णिम आभा की कांति में क्या इन पत्थरों की अंतर्तम अनुगूंज, तुम्हें सुनाई देती है ? क्यों होते हो गर्वित अपने रूप पर तुम्हारा अस्तित्व तो मात्र तुम्हारी कल्पना है बुनियाद का हर उपेक्षित पत्थर देता है तुम्हें आधार बताओ फिर ? आखिर तुम इठलाते हो किसके बल पर? डॉ.मनोहर गोरे
✨✨✨✨✨ जय भारत भारती ✨✨✨✨✨ ? जात पात ऊँच नीच काला गोरा? सांवला वर्ण विविध। भिन्न भिन्न प्रांत प्रदेश, प्रदेशों के उप अंचल अनेक। वेश भूषा,बोली,उप बोली- भाषा अनेक। खान पान रङ्ग राग रस मधुर। सङ्ग साथ रस्म रीति रीवाज धारणाये और अनेक संस्कृतियों का निराला गुलदस्ता मेरा प्यारा भारत देश। एकत्व एकात्म में सहेज दिशा दिशा शोभित हिन्दुस्थान। भारत माता की आन बान शान जयहिन्द वन्दे मातरम। सबकी समृद्धि सुख शान्ति और वैभव राजनीति से परे करे विचार धर्म सदाचार नेक नीति विधान। भातृत्व भाव उदय से कल्याण। आओ!कुछ कड़वी कुछ कसैली बातों को देकर विराम मिल बैठ खोजे भारत के गर्व गौरव के सिद्धांत। सबकी थाली खिल खिल भरी भरी हो। मधुमय हृदय आनन्द गौमाता,वेदमाता, वसुंधरा,भारत भारती विश्व में गुंजित गुणगान। हरित प्रभा वन उपवन अरण्य हरियाली, हो घर घर वंदन खुशहाली। कोई समीकरण ऐसा बनावे धर्मनिष्ठ नीति विचार भारत बनें सिरमौर। भारत के जन जन में सुविचार उपजे, उपजे नव नव अंकुर। हे! भगवान मेरे भारत के जन मन में उपजे सद्भाव सुविचार सहज।? - मनोहर गोरे (नागर)
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