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चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है हम को अब तक आशिकी का वो ज़माना याद है तुझ से मिलते ही वो कुछ बेबाक हो जाना मेरा और तेरा दांतों में वो उंगली दबाना याद है चोरी-चोरी हम से तुम आ कर मिले थे जिस जगह मुद्दतें गुजरीं पर अब तक वो ठिकाना याद है खैंच लेना वो मेरा परदे का कोना दफ्फातन और दुपट्टे से तेरा वो मुंह छुपाना याद है तुझ को जब तनहा कभी पाना तो अज राह-ऐ-लिहाज़ हाल-ऐ-दिल बातों ही बातों में जताना याद है आ गया गर वस्ल की शब् भी कहीं ज़िक्र-ए-फिराक वो तेरा रो-रो के भी मुझको रुलाना याद है दोपहर की धुप में मेरे बुलाने के लिए वो तेरा कोठे पे नंगे पांव आना याद है गैर की नज़रों से बचकर सब की मर्ज़ी के ख़िलाफ़ वो तेरा चोरी छिपे रातों को आना याद है बा हजारां इस्तिराब-ओ-सद-हजारां इश्तियाक तुझसे वो पहले पहल दिल का लगाना याद है बेरुखी के साथ सुनना दर्द-ऐ-दिल की दास्तां वो कलाई में तेरा कंगन घुमाना याद है वक्त-ए-रुखसत अलविदा का लफ्ज़ कहने के लिए वो तेरे सूखे लबों का थर-थराना याद है
चाहते तो हम भी तुम्हे बहुत है, लेकिन बताने से डरते है, हर पल तेरे ही खयालो मे❤️ खोये रहते है, तुम मानो या ना मानो, कसम से हम तुम्हे सच्चावाला प्यार करते है
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