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kavyotsav2 आँखों से आँखों को काटानें लगे हैं..... जिस्मों को हिस्सों में बांटानें लगे हैं..... सुना था मांसो को नोच गिद्ध खाया करते थे !!! मगर,अब तो इंसानियत को ही इंसान नोच खानें लगें हैं.... आँखों को आँखों से ... जिस्मों को हिस्सों में.... हुआ करता था प्यार पहले ज़माने में साहेब... हुआ........2 अब तो लव को ही प्यार बतानें लगे हैं.... कहते है कि ,प्यार की पहचान प्यार ही हुआ करती थी.... कहते है .......2 अब तो प्यार को भी हैसियत देख निभानें लगे हैं ..... सुना है कि, ग़ालिबे दौर में,इश्क़- ऐ- फितरत एक से हुआ करती थी!!! अब तो लव में हजारों से इश्क़ फ़रमानें लगें है .... आँखों को आँखों से ... जिस्मों को हिस्सों में ... कौन कहता है कि,माँ बाप को घर से बेघर कर देतीं हैं औलादें .... नया दौर है ज़नाब, नौकरी न होने पर अपने ही औलादों को बोझ बतानें लगे हैं ... आँखों को आँखों से .... जिस्मों को हिस्सों में बाटनें लगे हैं .... #matarubites # -- Maitri Maitri Shared via Matrubharti.. https://www.matrubharti.com/bites/111170860 #kavyotsav2
आँखों से आँखों को काटानें लगे हैं..... जिस्मों को हिस्सों में बांटानें लगे हैं..... सुना था मांसो को नोच गिद्ध खाया करते थे !!! मगर,अब तो इंसानियत को ही इंसान नोच खानें लगें हैं.... आँखों को आँखों से ... जिस्मों को हिस्सों में.... हुआ करता था प्यार पहले ज़माने में साहेब... हुआ........2 अब तो लव को ही प्यार बतानें लगे हैं.... कहते है कि ,प्यार की पहचान प्यार ही हुआ करती थी.... कहते है .......2 अब तो प्यार को भी हैसियत देख निभानें लगे हैं ..... सुना है कि, ग़ालिबे दौर में,इश्क़- ऐ- फितरत एक से हुआ करती थी!!! अब तो लव में हजारों से इश्क़ फ़रमानें लगें है .... आँखों को आँखों से ... जिस्मों को हिस्सों में ... कौन कहता है कि,माँ बाप को घर से बेघर कर देतीं हैं औलादें .... नया दौर है ज़नाब, नौकरी न होने पर अपने ही औलादों को बोझ बतानें लगे हैं ... आँखों को आँखों से .... जिस्मों को हिस्सों में बाटनें लगे हैं .... #matarubites #
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