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Lav Prakash Rai

Lav Prakash Rai

@lavrai


मिले वो पास आके मुझसे
कुछ नादानियाँ हम कर बैठे,
मन की देहरी पे
दीपक कुछ आस के फिर से जला बैठे।
चाह संग की,
उस मुलाकात में न जाने क्यों दिखा बैठे,
आयी थी एक शाम बड़ी सुहानी,
उम्र भर की ख्वाहिश में उसे भी गँवा बैठे।
~ 'लव'

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