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Zakhm bahut hai,, dikhayen kaun sa Jo Tumne Diya vah Jo Logon Ne HAL poochh poochh kar kiye vah -Lalit Mishra
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उसने कहा कि वो मुझसे मिलने ना आएगा कभी कोई उसको बता दो मेरे ख्वाबो पे उसका इख्तियार नहीं। सुषमा मिश्रा ललित
मोरे भैया अइहै अनवइया सावनवा मा ना जइबै ननदी सुषमा मिश्रा ललित
पति ने पत्नी से पूछा। तुम्हें टीवी में कौनसा प्रोग्राम पसंद, है, रामायण, की महाभारत। पत्नी ने मुस्कुराते हुए कहा रामायण। पति ने पूछा फिर घर में महाभारत क्यों करती हो सुषमा मिश्रा ललित?
वो दूर से पूछता है। तुम ठीक हो न। मैं हाँ मे जवाब न देती। तो क्या करती? सुषमा मिश्रा, ललित?
कुछ कहना है कुछ सुनना है ,कुछ बातें अभी अधूरी है। कुछ तू भी मुझमें छूटा है, कुछ मै भी तुझमें छूटी हूँ। आ मिलकर शिकवे खत्म करे, कुछ तू भी मुझसे रुठा है, कुछ मै भी तूझसे रुठी हूँ।। सुषमा मिश्रा ललित
कभी कभी मेरी मेरी पत्नी👰 के सिर में तेज् दर्द होता है कोई उपाय बताऐ सलाहकार कभी कभी आक्सीजन की कमी से भी दर्द होता है पीपल के पेड़🌴 में परियाप्त मात्रा में आक्सीजन होती है तब क्या पीपल के पेड़🌲 के नीचे सोना पडेगा सुषमा मिश्रा ललित
कभी कभी हमारे पास शब्द ही शब्द होते हैं परन्तु कभी कभीजीवन में कुछ ऐसे पल भी आते है कि हम निशब्द होते हैं. सुषमा मिश्रा ललित
मैं नंगे पांव दौडे़ जा रहा हूँ, अपने पांव के छालों को फोडे़ जा रहा हूँ जो सपने लेकर आया मैंअपने गांव से एक दिन शहर वीरान की इन तंग गलियों में छोडे़ जा रहा हूँ मैं नंगे पांव दौडे़ जा रहा हूँ रखकर हाथ कंधे पर लगाकर अपने सीने से, मिली थी जो दुआएँ उनसे नाता आज तोड़ने जा रहा हूँ मैं नंगे पांव दौडे़ जा रहा हूँ खचाखच भीड़ में डूबी जो राहें जानती ना थी मुझे पहचानती ना थी बहुत सुनसान है राहें, नही है दूर तक कोई, ना जाने कौन सा रिश्ता मै इनसे आज जोड़े जा रहा हूँ मैं नंगे पांव दौडे़ जा रहा🚶👭🚶👭🚶👭🚶👭 हूँ लिखने की पूरी कोशिश की परन्तु मन शब्दों ने ज्यादा साथ नही दिया, बस ईश्वर से प्रतिपल यही कामना करती हूँ,, हे करूणानिधान विश्व का कल्याण करो ,, मेरे मजबूर भाई बहन सकुशल घर🏡 पहुँच जायें धन हानि की पूर्ति तो हो जाऐगी हे ईश्वर जन हानि अब बन्द करें हम सब आपकी शरण आये हैं, त्राहि माम्, ,त्राहि माम् ,,त्राहि माम् सुषमा मिश्रा ललित
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