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विनोद सिंघानिया :दिल्ली का सबसे बड़ा बिजनेस मैन जिसका गुरूर है उसका शरनेम। राधिका: जिसके ना माता पिता थे न शरनेम। वो एक छोटी सी बस्ती में रहने वाली लड़की थी । उस की जीने की वजह सिर्फ एक थी उसका भाई जब वो अनत्थल्य मे रहती थी उसे एक आदमी ने गोद ले लिया उसका एक बेटा था जिसका नाम प्रीतम था उसके पिता जिसने उसे गोद लिया था उनका एक कार एक्सीडेंट में दिहांत हो गया जब से राधिका प्रीतम का ख्याल रखती थी क्योंकि प्रीतम की मां तो प्रीतम के पैदा होने दो साल बाद ही मर गई थी ।राधिका प्रीतम का पूरा ख्याल रखती थी और उसके पढ़ाई के खर्चे के लिए वो नोकरी करती थी। गुलाबो जो इसकी बुआ उसे अपना ना हो नहीं चाहती थी वो उसे रोज परेशान करी थी। जब विनोद एक मीटिंग के लिए जा रहा था उसकी गाड़ी थोड़ी देर चलने के बाद बंद हो गई उसने देखा तो गाड़ी का पेट्रोल खत्म हो चुका था उसे वसीम जोकि उसका मैनेजर था उस पर बोहोत गुस्सा आ रहा था क्योंकि विनोद ने वसीम को पहले से बोल दिया था मगर उसने गाड़ी में पेट्रोल नहीं दलवाया था उसने वसीम को फोन लगाया और बोहो गुस्सा हुआ गुस्से उसने मोबाइल फेका वो मोबाइल जाके राधिका के तरफ आया मगर राधिका पीछे हो गई थी इसलिए उसे कुछ हुआ नहीं राधिका ने गुस्से से विनोद की तरफ देखी और उसके पास गई और कहा: अरे तुम अंधे हो क्या क्या होगा आगे . .. please wait second part. or meri story padne ke liye thank you
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