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✍🏻...मुस्कुराओ मगर इशारा नहीं करना.. किसी घर के लड़के को आवारा नहीं करना... मज़ाक को मोहब्बत बनने में देर नहीं लगती.. सुनो ये मज़ाक दुबारा नहीं करना!!! -Kushwaha Arush
✍🏻...थोड़ी सी मोहब्बत से काम नहीं चलता फिराक़ ... ये वो मामला हैं जिसमे सब कुछ या फिर कुछ नहीं!!! -Kushwaha Arush
✍🏻...मुद्दतों खुद कि कुछ खबर ना लगे... कोई अच्छा भी इस कदर ना लगे.. बस तुझे उस नज़र से देखा हैँ.. जिस नज़र से तुझे नज़र ना लगे!!! -Kushwaha Arush
✍🏻....चाँद जब शाम की रंगत की तरफ देखता था.. मैं तेरी सावली सूरत की तरफ देखता था!! बस इसी जुर्म में छीनी गयी मेरी आँखें... मैं मोहब्बत से मोहब्बत की तरफ देखता था!!! -Kushwaha Arush
✍🏻...तुमने समझा ही नहीं आंख में ठहरे हुए दुख को.. तुम भी हंसती हुई तस्वीर पे मर जाते हो.... -Kushwaha Arush
✍🏻...होने थे जितने खेल मुकद्दर के हो गए...... हम टूटी नाव लेकर समुन्दर के हो गए... खुशबू हमारे हाँथ को छू कर गुजर गई.. हम फूल सबको बांटकर पत्थर के हो गए!!! -Kushwaha Arush
✍🏻...कुछ तो था उसकी नज़र में जो कही और नहीं देखा... इन आँखों ने भी उसके सिवा कुछ और नहीं देखा!!! -Kushwaha Arush
✍🏻...मुफ्त ले जाओ हमें दाम से डर लगता है... ए गुलामी हमें नीलाम से डर लगता है... जानेमन काम तो अच्छा है मोहब्बत लेकिन... हमको इसके काम के अंजाम से डर लगता है.. -Kushwaha Arush
✍🏻..मुँह जवानी ना जजाता की मोहब्बत क्या हैं!! मैं तुझे करके दिखता की मोहब्बत क्या हैं!!! कैसे सीने से लगाऊं की किसी और के हो!!!! मेरे होते तो बताता की मोहब्बत क्या हैं!!!!!😊😊 -Kushwaha Arush
✍🏻... तुझे तो यूं भी बिठा लेंगे लोग आँखों पर,, हसीन शख्स तुझे मेरी क्या ज़रूरत है!!! -Kushwaha Arush
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