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आप सभी को फ्रैंडशिप डे की बहुत बहुत बधाई 🙏💐 तू बेमिसाल है…. अगर बिकी तेरी दोस्ती... तो पहले ख़रीददार हम होंगे..! तुझे ख़बर न होगी तेरी क़ीमत .. पर तुझे पाकर सबसे अमीर हम होंगे..!! दोस्त साथ हो तो रोने में भी शान है.. दोस्त ना हो तो महफिल भी शमशान है! सारा खेल दोस्ती का है ऐ मेरे दोस्त, वरना जनाजा और बारात एक ही समान है !!! आपका मुकेश शर्मा 🙏💐
ये पहली बार का मिलना भी कितना पागल कर देता है। कुछ कुछ होता हैं सांसों में पर ना जाने कुछ होता हैं। हम अपने प्यार की ये बारिश उनपे बरसाने वाले है। कालिया ना बिछाना रहो मैं हम दिल को बिछाने वाले हैं।🙏🙏
मेरे गुनाह के हिसाब मुझसे मत मांगना मेरे मालिक .. कलम तेरी ही चली थी मेरी तकदीर लिखने में । 🙏💐 ,
*गुरुजी ने कहा कि मां के पल्लू पर निबन्ध लिखो..* *तो लिखने वाले छात्र ने क्या खूब लिखा.....* *"पूरा पढ़ियेगा आपके दिल को छू जाएगा"* 🥰 आदरणीय गुरुजी जी... माँ के पल्लू का सिद्धाँत माँ को गरिमामयी छवि प्रदान करने के लिए था. इसके साथ ही ... यह गरम बर्तन को चूल्हा से हटाते समय गरम बर्तन को पकड़ने के काम भी आता था. पल्लू की बात ही निराली थी. पल्लू पर तो बहुत कुछ लिखा जा सकता है. पल्लू ... बच्चों का पसीना, आँसू पोंछने, गंदे कान, मुँह की सफाई के लिए भी इस्तेमाल किया जाता था. माँ इसको अपना हाथ पोंछने के लिए तौलिया के रूप में भी इस्तेमाल कर लेती थी. खाना खाने के बाद पल्लू से मुँह साफ करने का अपना ही आनंद होता था. कभी आँख में दर्द होने पर ... माँ अपने पल्लू को गोल बनाकर, फूँक मारकर, गरम करके आँख में लगा देतीं थी, दर्द उसी समय गायब हो जाता था. माँ की गोद में सोने वाले बच्चों के लिए उसकी गोद गद्दा और उसका पल्लू चादर का काम करता था. जब भी कोई अंजान घर पर आता, तो बच्चा उसको माँ के पल्लू की ओट ले कर देखता था. जब भी बच्चे को किसी बात पर शर्म आती, वो पल्लू से अपना मुँह ढक कर छुप जाता था. जब बच्चों को बाहर जाना होता, तब 'माँ का पल्लू' एक मार्गदर्शक का काम करता था. जब तक बच्चे ने हाथ में पल्लू थाम रखा होता, तो सारी कायनात उसकी मुट्ठी में होती थी. जब मौसम ठंडा होता था ... माँ उसको अपने चारों ओर लपेट कर ठंड से बचाने की कोशिश करती. और, जब बारिश होती तो, माँ अपने पल्लू में ढाँक लेती. पल्लू --> एप्रन का काम भी करता था. माँ इसको हाथ तौलिया के रूप में भी इस्तेमाल कर लेती थी. पल्लू का उपयोग पेड़ों से गिरने वाले मीठे जामुन और सुगंधित फूलों को लाने के लिए किया जाता था. पल्लू में धान, दान, प्रसाद भी संकलित किया जाता था. पल्लू घर में रखे समान से धूल हटाने में भी बहुत सहायक होता था. कभी कोई वस्तु खो जाए, तो एकदम से पल्लू में गांठ लगाकर निश्चिंत हो जाना , कि जल्द मिल जाएगी. पल्लू में गाँठ लगा कर माँ एक चलता फिरता बैंक या तिजोरी रखती थी, और अगर सब कुछ ठीक रहा, तो कभी-कभी उस बैंक से कुछ पैसे भी मिल जाते थे. *मुझे नहीं लगता, कि विज्ञान पल्लू का विकल्प ढूँढ पाया है !* *मां का पल्लू कुछ और नहीं, बल्कि एक जादुई एहसास है !* स्नेह और संबंध रखने वाले अपनी माँ के इस प्यार और स्नेह को हमेशा महसूस करते हैं, जो कि आज की पीढ़ियों की समझ में आता है कि नहीं........ *अब जीन्स पहनने वाली माएं, पल्लू कहाँ से लाएंगी* *पता नहीं......!!* 🌺 *माँ के चरणों मे समर्पित.*🙏
🙏 *दिल को छुने वाली कहानी*🙏 एक पाँच छ: साल का मासूम सा बच्चा अपनी छोटी बहन को लेकर गुरुद्वारे के एक तरफ कोने में बैठा हाथ जोडकर भगवान से न जाने क्या मांग रहा था। कपड़े में मैल लगा हुआ था, मगर निहायत साफ, उसके नन्हे नन्हे से गाल आँसूओं से भीग चुके थे । बहुत लोग उसकी तरफ आकर्षित थे और वह बिल्कुल अनजान अपने भगवान से बातों में लगा हुआ था। जैसे ही वह उठा एक अजनबी ने आगे बढ़ के उसका नन्हा सा हाथ पकड़ा और पूछा : "क्या मांगा भगवान से ?" उसने कहा : "मेरे पापा मर गए है, उनके लिए स्वर्ग मांगा, मेरी माँ रोती रहती है, उनके लिए सब्र मांगा, और मेरी बहन, माँ से कपडे सामान मांगती है, उसके लिए पैसे मांगे"... "तुम स्कूल जाते हो"...? अजनबी का सवाल स्वाभाविक सा सवाल था। हां जाता हूं, उसने कहा। किस क्लास में पढ़ते हो ? अजनबी ने पूछा नहीं अंकल पढ़ने नहीं जाता, मां चने बना देती है, वह स्कूल के बच्चों को बेचता हूँ । बहुत सारे बच्चे मुझसे चने खरीदते हैं, हमारा यही काम धंधा है । बच्चे का एक-एक शब्द मेरी रूह में उतर रहा था। "तुम्हारा कोई रिश्तेदार" न चाहते हुए भी अजनबी बच्चे से पूछ बैठा। पता नहीं, माँ कहती है गरीब का कोई रिश्तेदार नहीं होता, माँ झूठ नहीं बोलती, पर अंकल, मुझे लगता है मेरी माँ कभी कभी झूठ बोलती है, जब हम खाना खाते हैं, हमें देखती रहती है । जब कहता हूँ माँ तुम भी खाओ, तो कहती है मैने खा लिया था, उस समय लगता है झूठ बोलती है। बेटा अगर तुम्हारे घर का खर्च मिल जाय तो पढाई करोगे ? "बिल्कुलु नहीं" "क्यों" पढ़ाई करने वाले, गरीबों से नफरत करते है अंकल, हमें किसी पढ़े हुए ने कभी नहीं पूछा - पास से गुजर जाते है। अजनबी हैरान भी था, और शर्मिंदा भी। फिर उसने कहा "हर दिन इसी इस गुरुद्वारे में आता हूँ, कभी किसी ने नहीं पूछा - यहाँ सब आने वाले मेरे पिताजी को जानते थे - मगर हमें कोई नहीं जानता। "बच्चा जोर-जोर से रोने लगा" अंकल जब बाप मर जाता है तो सब अजनबी क्यों हो जाते है? मेरे पास इसका कोई जवाब नही था... ऐसे कितने मासूम होंगे जो हसरतों से घायल है। बस एक कोशिश कीजिये और अपने आसपास ऐसे ज़रूरतमंद, बेसहारा को ढूंढिये और उनकी मदद किजिए ..... मन्दिर/गुरुद्वारे मे सीमेंट या अन्न की बोरी देने से पहले अपने आस-पास किसी गरीब को देख लेना शायद उसको आटे की ज्यादा जरुरत हो। आपको पसंद आऐ तो सब काम छोडके ये मेसेज कम से कम एक या दो ग्रुप मे जरुर डाले। कहीं ग्रुप मे ऐसा देवता इंसान मिल जाऐ। कहीं ऐसे बच्चो को अपना भगवान मिल जाए। कुछ समय के लिए एक गरीब बेसहारा की आँख मे आँख डालकर देखे, आपको क्या महसूस होता है। फोटो या विडीयो भेजने कि जगह ये मेसेज कम से कम एक ग्रुप मे जरुर डाले। स्वयं में व समाज में बदलाव लाने के प्रयास जारी रखें... 🙏🙏🙏🙏🌳🌳🌳🙏🙏🙏🙏🙏
बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए!!! ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!! वक़्त ने कहा.....काश थोड़ा और सब्र होता!!! सब्र ने कहा....काश थोड़ा और वक़्त होता!!! सुबह सुबह उठना पड़ता है कमाने के लिए साहेब...।। आराम कमाने निकलता हूँ आराम छोड़कर।। "शिकायते तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी, पर चुप इसलिये हु कि, जो दिया तूने, वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता".. अजीब सौदागर है ये वक़्त भी!!!! जवानी का लालच देके बचपन ले गया.... अब अमीरी का लालच दे के जवानी ले जाएगा. ......
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