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न जाने किस तरह का इश्क कर रहे हैं हम, जिसके हो नहीं सकते उसी के हो रहे हैं हम।
cool
तुम मिल गए तो मुझ से नाराज है खुदा, कहता है कि तू अब कुछ माँगता नहीं है।
ऐ शख्स तेरा साथ मुझे हर शक्ल में मंज़ूर है, यादें हों कि खुशबू हो, यक़ीं हो कि ग़ुमान हो।
चाहत है या दिल्लगी या यूँ ही मन भरमाया है, याद करोगे तुम भी कभी किससे दिल लगाया है।
दिल की धड़कन और मेरी सदा है तू, मेरी पहली और आखिरी वफ़ा है तू, चाहा है तुझे चाहत से भी बढ़ कर, मेरी चाहत और चाहत की इंतिहा है तू
कुछ तो बात है तेरी फितरत में ऐ सनम, वरना तुझ को याद करने की खता हम बार-बार न करते।
अपने उसूल कभी यूँ भी तोड़ने पड़े, खता उसकी थी हाथ मुझे जोड़ने पड़े
हर भूल तेरी माफ़ की हर खता को तेरी भुला दिया, गम है कि, मेरे प्यार का तूने बेवफा बनके सिला दिया।
किया इश्क़ ने मेरा हाल कुछ ऐसा, ना अपनी खबर ना ही दिल का पता है, कसूरवार थी मेरी ये दौर-ए-जवानी, मैं समझता रहा सनम की खता है
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