Quotes by krishna upmanyu in Bitesapp read free

krishna upmanyu

krishna upmanyu

@krishnaupmanyu3744


सूरत अग्नि कांड:-
सच मे वो लोग ऐसा कर सकते थे लेकिन नही किया,ऊपर से कूदते बच्चों को दरी ,, जाल चादर आदि की सहायता दे सकते थे tv पर देखा सैकड़ो की संख्या में लोग मौजूद थे लेकिन एक दो को छोड़कर सब वीडियो बनाने में व्यस्त थे।
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प्लीज दोस्तो कहीं कोई ऐसी घटना होती देखे तो मोबाइल से वीडियो बनाने की बजाय उन पीड़ित लोगों की मदद करे प्लीज,,,
क्या पता कभी भगवान न करे आपका अपना ऐसे ही परिस्थिति में फसा हो और उसकी मदद हो जाये,,
हाथ जोड़कर निवेदन है जितना हो सके मदद करना वीडियो भले ही बने न बने लेकिन तुम्हरी छोटी सी मदद से उसके परिवार के लोगो की मुस्कान बनी रहेगी ??

जय हिंद जय भारत

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किरदार बाप का क्या बताऊँ..

जैसे जमीं पर फरिस्ता कोई..!!

#अंतिम_यात्रा_का_क्या_खूब_वर्णन_किया_है .....

था मैं नींद में और.
मुझे इतना
सजाया जा रहा था....

बड़े प्यार से
मुझे नहलाया जा रहा
था....

ना जाने
था वो कौन सा अजब खेल
मेरे घर
में....

बच्चो की तरह मुझे
कंधे पर उठाया जा रहा
था....

था पास मेरा हर अपना
उस
वक़्त....

फिर भी मैं हर किसी के
मन
से
भुलाया जा रहा था...

जो कभी देखते
भी न थे मोहब्बत की
निगाहों
से....

उनके दिल से भी प्यार मुझ
पर
लुटाया जा रहा था...

मालूम नही क्यों
हैरान था हर कोई मुझे
सोते
हुए
देख कर....

जोर-जोर से रोकर मुझे
जगाया जा रहा था...

काँप उठी
मेरी रूह वो मंज़र
देख
कर....
.
जहाँ मुझे हमेशा के
लिए
सुलाया जा रहा था....
.
मोहब्बत की
इन्तहा थी जिन दिलों में
मेरे
लिए....
.
उन्हीं दिलों के हाथों,
आज मैं जलाया जा रहा था!!!

? लाजवाब लाईनें?
इस दुनिया मे कोई किसी का हमदर्द नहीं होता,
लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं।

"और कितना वक़्त लगेगा"

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चुटकुला तो इसको कहते हैं ???

एक लड़की अपने बूढी दादी के साथ ''बरामदे'' में बैठी थी
तभी वहां उसका ''बॉयफ्रेंड'' आ गया !

लड़की अपने बॉयफ्रेंड से -- क्या आप ''रामपाल यादव'' की बुक dad is at home लाये हो ?

बॉयफ्रेंड -- नहीं मैं तो ''कीमती आनंद'' की where should i wait for u किताब लेने आया हूँ !

लड़की -- नहीं मेरे पास तो ''प्रेम बाजपेयी'' की under the mango tree है !

बॉयफ्रेंड -- ठीक है तुम आते समय ''आनंद बक्शी'' की call u in five mnt लेती आना !

लड़की -- ok मैं ''जॉन इब्राहिम'' की I wont let u down जरूर लेती आउंगी !

लड़का लड़की की दादी के ''चरण स्पर्श'' करके चला जाता है !
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दादी बोली -- बेटी ये लड़का इतनी ''ढ़ेर सारी'' किताबे पढ़ कैसे लेता है ?

लड़की -- दादीजी ये हमारी क्लास का सबसे समझदार और intelligent लड़का है !

दादी -- तो बेटी इसको कहना एक बार ''मुंशी प्रेमचन्द'' की old people are not stupid भी पढ़ ले ! ...

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विवाह के दो वर्ष हुए थे जब सुहानी गर्भवती होने पर अपने घर पंजाब जा रही थी ...पति शहर से बाहर थे ...

जिस रिश्ते के भाई को स्टेशन से ट्रेन मे बिठाने को कहा था वो लेट होती ट्रेन की वजह से रुकने में मूड में नहीं था इसीलिए समान सहित प्लेटफॉर्म पर बनी बेंच पर बिठा कर चला गया ....

गाड़ी को पांचवे प्लेटफार्म पर आना था ...

गर्भवती सुहानी को सातवाँ माह चल रहा था. सामान अधिक होने से एक कुली से बात कर ली....

बेहद दुबला पतला बुजुर्ग...पेट पालने की विवशता उसकी आँखों में थी ...एक याचना के साथ सामान उठाने को आतुर ....

सुहानी ने उसे पंद्रह रुपये में तय कर लिया और टेक लगा कर बैठ गई.... तकरीबन डेढ़ घंटे बाद गाडी आने की घोषणा हुई ...लेकिन वो बुजुर्ग कुली कहीं नहीं दिखा ...

कोई दूसरा कुली भी खाली नज़र नही आ रहा था.....ट्रेन छूटने पर वापस घर जाना भी संभव नही था ...

रात के साढ़े बारह बज चुके थे ..सुहानी का मन घबराने लगा ...

तभी वो बुजुर्ग दूर से भाग कर आता हुआ दिखाई दिया .... बोला चिंता न करो बिटिया हम चढ़ा देंगे गाडी में ...भागने से उसकी साँस फूल रही थी ..उसने लपक कर सामान उठाया ...और आने का इशारा किया

सीढ़ी चढ़ कर पुल से पार जाना था कयोकि अचानक ट्रेन ने प्लेटफार्म चेंज करा था जो अब नौ नम्बर पर आ रही थी

वो साँस फूलने से धीरे धीरे चल रहा था और सुहानी भी तेज चलने हालत में न थी
गाडी ने सीटी दे दी
भाग कर अपना स्लीपर कोच का डब्बा ढूंढा ....

डिब्बा प्लेटफार्म खत्म होने के बाद इंजिन के पास था। वहां प्लेटफार्म की लाईट भी नहीं थी और वहां से चढ़ना भी बहुत मुश्किल था ....

सुहानी पलटकर उसे आते हुए देख ट्रेन मे चढ़ गई...तुरंत ट्रेन रेंगने लगी ...कुली अभी दौड़ ही रहा था ...

हिम्मत करके उसने एक एक सामान रेलगाड़ी के पायदान के पास रख दिया ।

अब आगे बिलकुल अन्धेरा था ..

जब तक सुहानी ने हडबडाये कांपते हाथों से दस का और पांच का का नोट निकाला ...
तब तक कुली की हथेली दूर हो चुकी थी...

उसकी दौड़ने की रफ़्तार तेज हुई ..
मगर साथ ही ट्रेन की रफ़्तार भी ....

वो बेबसी से उसकी दूर होती खाली हथेली देखती रही ...

और फिर उसका हाथ जोड़ना नमस्ते
और आशीर्वाद की मुद्रा में ....
उसकी गरीबी ...
उसका पेट ....
उसकी मेहनत ...
उसका सहयोग ...
सब एक साथ सुहानी की आँखों में कौंध गए ..

उस घटना के बाद सुहानी डिलीवरी के बाद दुबारा स्टेशन पर उस बुजुर्ग कुली को खोजती रही मगर वो कभी दुबारा नही मिला ...

आज वो जगह जगह दान आदि करती है मगर आज तक कोई भी दान वो कर्जा नहीं उतार पाया उस रात उस बुजुर्ग की कर्मठ हथेली ने किया था ...

सच है कुछ कर्ज कभी नही उतारे जा सकते......!

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