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🇧🇬🇧🇬🇧🇬🇧🇬🇧🇬🇧🇬🇧🇬 स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🇧🇬🇧🇬🇧🇬🇧🇬🇧🇬🇧🇬🇧🇬
🇧🇬🇧🇬स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं 🇧🇬🇧🇬
होलिका पर्व की हार्दिक शुभकामनायें
सरस्वती पूजन व बसंत पंचमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं
#HAPPY DIWALI एक दिवाली ऐसी भी ....... https://youtu.be/HGvTVN9wk4M
#Matrubharti #Navratristoryfestival आज की सोच •••• महक ने स्कूल से आकर अपना बैग मेज़ पर रखा और दौडती हुई माँ के पास रसोईघर में गयी। माँ रसोई में कुछ विशेष व्यंजन बना रही थी।महक के पूछने पर माँ ने बताया कि आज रात को गाँव से शान्ति बुआजी आ रही हैं। यह सुनकर महक बहुत ख़ुश हुई ,क्योंकि उसे अपनी बुआ से अत्यधिक लगाव था। रात को क़रीब 8.30 बजे बुआजी रेलवे स्टेशन से ऑटो पकड़कर घर आई। पापा ने उनका बैग उठाया और उन्हे अंदर लेकर गये। माँ ने उनके पैर छुए। महक को देखकर बुआजी ने उसे गले लगा लिया और कहने लगी पिछली बार आए थे, तो बहुत छोटी थी लेकिन अब बहुत समझदार हो गयी हैं।दादाजी ने उन्हे बिठाया और कुछ समय बाद पूछा कि - "क्यो शान्ति आज अचानक यहाँ आने का मन कैसे बनाया।अभी चार दिन पहले पूछा था, तो तुमने मुझसे कहा था कि खेत पर बहुत काम हैं।" शान्ति ने कहा कि - "खेत पर तो काम हैं।लेकिन पिंकी अब बड़ी हो गयी हैं।इसीलिए उसकी शादी भी तो करनी हैं।" दादाजी ने कहा कि - "ये क्या कह रही हो शान्ति? अभी तो वह सिर्फ़ सोलह साल की हैं।और पढ़ने में भी होशियार हैं।हमेशा क्लास मे अव्वल आती है।" शान्ति ने कहा कि -"यह बात तो ठीक हैं।लेकिन लड़कियों को पढ़ -लिखकर भी करना, तो घर का ही काम हैं। फ़िर ज़्यादा पढ़ा -लिखाकर पैसे ख़र्च करने से क्या फ़ायदा।उसकी पढ़ाई से बचे हुए पैसों को उसकी शादी में ख़र्च कर देगे।" पास में बैठी हुई महक दादाजी और बुआजी की बात बड़ी गौर से सुन रही थी।कुछ देर शांत रहने के बाद महक ने बुआजी से कहा कि -"बुआजी पढ़ने का उद्देश्य केवल नौकरी करना नहीं हैं। बल्कि पढ़ाई का उद्देश्य तो व्यक्ति के मानस का विकास करना हैं।अगर आप मानती हैं कि शिक्षा का उद्देश्य नौकरी ग्रहण करना हैं ,तो इसके भी कई उदाहरण आपको हमारे समाज में देखने को मिल जायेगे।क्योंकि आज लड़कियाँ डॉक्टर, इंजीनियर, प्रशासनिक अधिकारी तथा वकील बनकर हर जगह अपने पैर जमा रही हैं।और रही बात पिंकी दीदी की तो वे महज सोलह साल की हैं और अगर आप उनका विवाह करती है, तो वह विवाह एक बालविवाह की श्रेणी में आएगा ,जो हमारे देश में कानूनी अपराध हैं।बुआजी यह तो इक्कीसवीं सदी चल रही हैं। और आप इस समय ऐसी दकियानुसी सोच रखेगी तो आज की युवा पीढ़ी आपको कचरे के ढेर की तरह फेंक देगी।" यह कहकर महक अपने कमरे में चली गयी। महक की बात सुनकर सभी परिवार वाले अवाक रह गये।वे सभी सोचने लगे की इतनी छोटी -सी लड़की भी क्या इतनी बड़ी बात सोच सकती हैं।शान्ति बुआ को महक की बात समझ आ गयी और उन्होनें महक को अंदर जाकर गले से लगा लिया। नेहा शर्मा।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं ⚘⚘ जय श्री राधे-कृष्ण⚘⚘
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