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जहाँ तेरी एड़ी से धूप उड़ा करती थी सुना है उस चौखट पे अब शाम रहा करती है लटों से उलझी लिपटी इक रात हुआ करती थी कभी-कभी तकिये पे वो भी मिला करती थी । । ।
चाहने वाले तो मिलते ही रहेंगे तुझे सारी उम्र, बस तू कभी जिसे भूल न पाए वो चाहत हमारी होगी..✍️
न रुकी वक्त की गर्दिश और न जमाना बदला, पेड़ सूखा तो परिंदों ने ठिकाना बदला..✍️ Kgbites@Insta
लाजमी है तेरा खुद पे गुरुर करना, हम जिसे चाहे वो मामूली हो भी नही सकते..✍️
ना कोई किसी से दूर होता है, ना कोई किसी के करीब होता है, खुद चलकर आता है जब कोई…. किसी का नसीब होता है..✍️
कभी जो थक जाओ तुम दुनिया की महफ़िलों से तो… मुझे आवाज़ दे देना हम आज भी अकेले रहते हैं..✍️
उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो न जाने किस गली में ज़िन्दगी की शाम हो जाये ।
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