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आज उनकी यादों में कुछ, गुनगुनाने को दिल चाहता। प्रेम बरसाऊं या फिर अश्रु, असर उस दिल पर ये चाहता।। मिश्री - kiranvinod Jha
देख लिया लोगों का अपनापन, अपने मतलब से ही याद करते। परेशानी जब चारों ओर से घेरती, अनजान बन, फिर आंखें फेरते।। मिश्री - kiranvinod Jha
जिंदगी में आया ऐसा तूफान, सारे रिश्तों की परख हो गई। जो करते थे अपने होने का दावा, उनकी भी हवा निकल गई।। मिश्री - kiranvinod Jha
बड़ी बड़ी बातें बोलने में,नहीं लगता है दाम। जरा सा कुछ बोल दो,याद आ जाता काम।। मिश्री - kiranvinod Jha
प्रेम का दर्पण दिखाकर, उम्मीदें लाखों जगा गए। टकराकर टूटा जो दर्पण, जिंदा लाश बना,कहां गए।। मिश्री - kiranvinod Jha
बोलने से मोहब्बत पूरी नहीं होती, उतारना उसे धरातल पर पड़ता है। मोहब्बत भी जरूरतें मांगती है, बताएं बिन यह जानना पड़ता है।। मिश्री - kiranvinod Jha
जाना है एक दिन सबको, कोई आज जाये,कोई कल। यादें बनाएं रखनी है तो, हृदय में बसना ही है हल।। मिश्री - kiranvinod Jha
थामकर देखा था किसी का हाथ, दो दिन में ही , बदल गए लोग। हमदम होने का दावा किया था, हाथ छोड़,कहीं और फिसल गए लोग।। मिश्री - kiranvinod Jha
दूषित मानसिकता वालों के लिए, स्वयं के कार्य को, न करें बाधित। हृदय अगर सत्कर्मी हैं तो, कुछ नहीं करना , होगा साबित।। मिश्री - kiranvinod Jha
जो लड़ना जानते हैं,वही शून्य से शिखर की ओर जाते है। वरना हताशा के अंधकार में,कई लोग विलुप्त हो जाते है।। सुप्रभात मिश्री - kiranvinod Jha
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