Quotes by Khyati Srivastava in Bitesapp read free

Khyati Srivastava

Khyati Srivastava

@khyatisrivastava171801


समझदारों की महफिल में समझ बुन रहे थे जब,
खुद से कुछ खुदाई से मुलाक़ात हो रही थी जब..
तभी ठहरी सी एक सोच की दस्तक आयी,
की वो मुकम्मल नज़रिया दुनिया कहाँ से लाई..
जब डर के दबाव में गली दाल भी पकी मान लेते है सब?! ©Khyati

#thought_provoking

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अफसोस और आरजूओं के बीच का फ़साना था,
कुछ तुम्हे और कुछ हमें निभाना था।
यूँ तो मोहोबत्त मुक्कमल सी ही लगती है,
बस एक रोज़ का वो वाकया ज़िन्दगी भर भुलाना था।
©Khyati

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वो जो कहते थे बदलाव लाना मुश्किल है,
आज बदलती हवाओं के साथ उड़ना सीख रहे हैं।
वो जो लड़खड़ाते थे पर बेख़ौफ़ चलते रहे,
आज भी समय के साथ चलते हुए बढ़े जा रहे हैं।

©Khyati

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यूँही खाली हाथ जा रहे थे हम ज़रा..
मुझसे मेरा वक़्त ही मोहलत मांगने लगा।
हम जहां खड़े हुए छाव लेने ज़रा..
पतझड़ का मौसम वहीं से गुज़रने लगा।

©Khyati

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ये जो चकाचौंध का शोर है,
हर शख्स मुखौटे ओढ़ने में मसरूफ है!
कहीं तो होगा वो आसमान का टुकड़ा,
जहां खुली हवा और ओस की बूंदें महफूज़ हैं।

©khyati

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थम जा रे मन ज़रा, की तेरी गति विचलित कर देती है।
बैठ सन्नाटों में मेरे साथ यहीं..
तेरे ही शोर में कहीं गीता सुनाई देती है।

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