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परिंदा हूं मैं, हवाओं में गुनगुनाता हूं खुली फ़िज़ाओं में उड़ता हूं गीत प्रेम के गाता हूं -R.KapOOr
वो मुझे देख कर मुस्कुराने लगे हैं लगता है अपने भी अच्छे दिन आने लगे हैं -R.KapOOr
रात थी ख़्वाब पलकों पे ठहरे हुए चुभन कांच सी देते हैं आंखोंं को मूंदे हुए हम फ़िर भी सोये रहते हैं -R.KapOOr
https://youtu.be/T3usuUsXK_4 यूट्यूब पर आज एक नया वीडियो अपलोड किया है... आपकी प्रतिक्रिया का इंतज़ार रहेगा....😊 अगर आप भी अपनी आवाज़ में रिकॉर्ड कर के आपकी याँ किसी भी लेखक लेखिका (आपको उनका नाम भी बताना होगा , जिनकी रचना हो ) की रचना भेजना चाहें तो स्वागत है आपका । रचना सिलेक्ट होने पर हमारे यूट्यूब चैनल पर अपलोड की जाएगी।
तू ठहर जा ज़रा वक़्त नू गुज़र जाण दे वक़्त दा कुसूर है तू तां बेकसूर हैं तू जो चली गई वक़्त फ़ेर ठहर जायेगा एस कर के ही कह रया हां तू ठहर जा ज़रा वक़्त नू गुज़र जाण दे -R.KapOOr
तेरे दरस के दीवाने हैं तेरे दर पर यूँ लुकाछुपी खेल के और ना सितम कर -R.KapOOr
मैं धरा की धूल, तुम नाथ मेरे मैं मुसाफ़िर एक भटका, तुम साथ मेरे -R.KapOOr
माना मैंने कि वो मेरी सनम नहीं पर उसका पलट कर देखना भी तो कम नहीं -R.KapOOr
जानता हूं याद तो तू भी मुझे करती है बहुत कमबख्त हिचकियां हैं कि रुकती ही नहीं -R.KapOOr
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