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कोरोना का कहर है जहां देखो वहां मोत की लहर है ठीक हो जाने की बात कैसे करें चुं की सबके दिलो दिमाग में एक ही खौफ है जिंदगी जीने की अब कोई चाह नहीं जीने की कोई राह नहीं सब राख ही राख है गर यही सलिका है जीने का तो ऐसी बेसुरी जिंदगी जी कर भी क्या करेंगे ये मायुसी ये विवशता का बोज कब तक ढोएंगे ये जींदी लाश लिए कब तक घूमेंगे । #ठीक -हो-जाओ
#विलक्षण
हमारी जिंदगी की इमारत तो शुक्रगुजारों की बुनियाद पे खड़ी थी खदा ने कुछ ऐसे फरिस्ते भेजे हमारी जिंदगी आबाद कर दी उनहींकी बदौलत बड़े चैन और शुकुनसे जी रहे हैं जिंदगी वरना हमारी जिंदगी में तो फकीरी लिखी थी कांतिलाल #शुक्रगुज़र
કંઈ કેટલાયે શ્રધ્ધા નાં દીવડા એના હ્રદિયા માં પ્રગટ્યાં હશે જ્યારે ક્રુષ્ણ ઘેલી મીરાં એ વિષ નો પ્યાલો ગટગટાવ્યો હશે કોઈ પાગલ જ પરાકાષ્ઠા એ પહોંચી પ્રભુ ને પામી શકે #मूर्ख
गर होऐगा निद्रालु अभी भी तो सब खोना पड़ेगा बहोत सोया कारोना काल में अब जागना पड़ेगा मायुस मत होना मेरे यार खुदा पर रख भरोसा अच्छे वक्त को आना पड़ेगा #निद्रालु
कटु से कटुताई मत करो कटुता के गुण हैं अपार जैसे कडु के नित्य पान से हाकिम न आए घर बार बार कडु = कडु कडीयातुं #कटु
चुनाव की चुंगाल में हम फंसते चले गए देश का न सोचा हमने बर्बादी की और चलते चले गए फंस गए सत्ता की लालशा में हम बागी बन गए #बाग़ी
चाहत के मीनारों पे आशीयाना बनाया है चाह मिली इतनी दोस्तों यारों से बयां नहीं कर सकता उग्र शब्द का वजुद कोई हमारी जिंदगी में नहीं #उग्र
हम इतने बे काबु हो गये अपने रंग राग में खुदा कि बंदगी करने के भी लायक़ ना रहे चंद लम्हें बचे हैं अब बंदगी तेरी कर शकुं अरज मेरी सुनले रब #लायक़
कोशिशें तमाम नाकाम हुई न मंजिल तक पहुंच सके हम ढुंढते रह गये उम्र भर कि शीघ्र ही मुकाम मीले पर जिंदगी की मसाफत लंबी होती गई। #शीघ्र
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