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कतरा-कतरा मेरे हलक को तर करती है, तेरी मोहब्बत मेरी रग रग में सफर करती है...
बेचैन दिल को और बेचैन ना कर.... तुझे ना सुनूं तो भी बवाल.. सुन लूँ तो भी बवाल.. तू इस कदर मुझे बेहाल मत कर.....
जो नहीं किया, वो कर के देखना.... साँस रोक के, मर के देखना.... बिलकुल वैसे ही मरे रहते हैं हम.... जब ना तेरे आसार नज़र ना आते हैं... कभी किसीके लिये.... उसके साथ और उसके बाद भी जल के देखना....
" आज तो आंधियां चली थी .... शहर के बीचो-बिच , ये आंधियां भी कुछ देखती नहीं, न सहर... न पहर .......बस चल दी..... कभी इस रूह से भी हो कर..... एक आंधी गुज़रे ...... उखड फेंके वो सारे किरदार ...... जो बरसों से इधर हक्क जमाये है....."
#Kavyotsav 'सागर की तरह बहती रहती है...... तेरी आवाज़ें ..... अफ़्सूं तो है तेरी आवाज़ में ..... बिलकुल डूबी-डूबी सी उस दरिया की तरह ...जो फितूर सा घोलकर ... एक नशा सा बोलते है ... एक दरिया तेरी आवाज़ का ..... घूमरता रहता है मुझमे ... शायद लहू बनकर ... घुलने लगी है आवाज़ें ....मुझमें ... तभी तो मैं ज़िंदा हूँ .... जबतक वो बहती रहती है नब्ज़ में .... तेरी आवाज़......||' 'इंतज़ार बहुत खूबसूरत रहता है, जब वो तेरे नाम से जुड़ा रहता है ... वो दिन, वो रात...बहुत लम्बे रहते है ...बहुत लम्बे .... जब तेरी खामोशियों पर पर्दा रहता है .. जिये जाने की रस्म ज़ारी रहती है ... पर साँसों पे तेरा पहरा रहता है ... दुनिया की भीड़ में दिखावा, करते रहते है ....... पर आँखों में एक ही चेहरा बोया रहता है ... वो इंतेज़ार.... बहोत खूबसूरत रहता है |' 'जो ख्वाब साथ में बोये है .., उनको कैसे निकाल पेंके हम , ये जो बहकी बहकी सी बातें करते हो .. ज़रा ये भी इल्म है, तुम्हे.. की, बारिशों के सर्द मौसम में.. बोये हुए ख्वाब जंगल बनके , फैलते है...|' 'पता है, उस दिन जो हाथ थामा था, तुमने.... बस उसी दिन से ये.... मेरे हाथों की लकीरें... तुम्हारे हाथों की लकीरों से, उलझ गई है....... सुलझाने की बहोत कोशिशें की...... पर, उफ्फ ये लकीरें......|' 'तेरे बदन की ज़मीं से हो के.. गुज़री है आज ये हवा... सौंधी-सौंधी खुशबू , तेरे जिस्म की .... और, हल्की-हल्की सी आंच... तेरी साँसों की, और, वो चमकीली नक्काशी.... तेरी आँखों की , लगता है ,आज तो शहर में बवंडर आनेवाला है...|' 'तेरी साँसों की हलकी सी.... आंच पर हम, हमारी ख्वाहिशों के सारे, खत रखकर आ गए .... अब तो बस .. वो ख्वाहिशें भी जलती रहेंगी..... धीरे-धीरे...... सुना है चिराग भी.... जलते हुऐ ही रोशनी देते हैं...|'
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