Quotes by jagrut Patel pij in Bitesapp read free

jagrut Patel pij

jagrut Patel pij

@jagrutpatel1479


परबत पे फूल खिल रहे है
बैठा है गार में दरिंदा

समेट लेते है हालातों के नज़र से
मेरे पैर अपने चादर की हद जानते है

हम इश्क़ को सीने में जला करके आ गए
दरिया की बढ़ी प्यास बुझा करके आ गए

शुकर है तलब तलब ही रह गई
वो मेरा होकर बिछड़ता तो क्या होता ..!

किसने कहाँ हम पढ़ कर छोड़ देते है
दिल छू जाए हम वो पन्ना मोद देते है

मैं क़ाबिल नहीं हूं तेरे जैसों के
जा तू जा कर तेरे जैसे ढूंढ

सब दलीलें तो मुझ को याद थी मगर
बहस क्या है देख उसी को भूल गया

किसी को पसंद आने थोड़ी आए है
जिंदगी जीने आए है अपने तरीके से जीने

और फ़िर किसी ने दरवाज़े पर दस्तक दी..
फ़िर ताले हमनें खिड़कियों पर भी डाल दिए

जो बेखबर है मेरी हर ख़बर से उसी पर मर रहा हूँ
मुझें भी मालूम नहीं क्यों मैं उसी पर ग़ज़ले कर रहा हूँ