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शेर कह कर अदाओं पर हमें ना आज़माने बैठिए, ये दिलजलों की महफ़िल है यहाँ ना दिल लगाने बैठिए
સુકા ભઠ રણમાં વર્ષા બની ભીંજવી ગઈ.. એક લાગણી મને સરકતી સરકતી ખીજવી ગઈ...
हमसे इश्क़ है या नहीं जवाब भी नही देते, हमें इस कशमकश-ए-दहर से आज़ाद भी नहीं करते.. मुझ को तो होश नहीं, हो तुम को ख़बर शायद, लोग कहते हैं तुम इश्क़ में किसी को बरबाद नहीं करते.. मेरी हर साँस है इस बात की शाहिद ऐ मौत, हम रोया तो करते है,अब पत्थरों से फरियाद नहीं करते...
ज़िंदगी यूँ तो नया लफ़्ज़ नहीं है लेकिन, तेरे ना होने का मुझकों मलाल एक तरफ.. मैं तो तेरे बाद सब ही को भूल गया, तेरा भूल जाने का मुझकों मलाल एक तरफ़.. यूँ तो फ़ितरत मेरी भी नहीं याद करता तुझकों लेकिन, तेरे ख़यालो का दिल में आना जाना एक तरफ़... अपनी हस्ती भी एक रोज़ गवॉंं बैठा मैं तु अब भी मुझ में कहीं ज़िंदा है एक तरफ़...
तुझकों जॉंनॉं सिर्फ़ उसके दाग़ दिखें वो चाँद है, तुझें ये भी तो सोचना था
इक उम्र जला दी जिनके दीद की तलब में, आज मिली उनसे नज़र तो हिज़ाब रूबरू था..
महोब्बत से अब मुँह हम मोड़ आए.. इक ज़माना था वो और ज़माना छोड़ आए सुनो तुम फरिश्तों से रिश्तें मजबूत रखना, हम तो उनसे भी नातें तब से तोड़ आए..
मत कर तमन्ना किसी को पाने की.. बड़ी बेदर्द निगाहें हैँ ज़माने की
मैं बड़ी देर तक देखता रहा उसे, वो आया हि नहीं तस्वीर से बहार
तेरी उल्फ़त का पहेरा लगा है सनम कौन आएगा मेरे ख़यालात में..!!
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