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जरूरी नहीं हर बार उसे समझाया जाए, कभी बैठ के उसे सुनना भी जरूरी है ।
हम जिसके लिए पूरी ज़िन्दगी रोज मरते हैं, आखिर में उसे छोड़ के मरते हैं।
भौतिक सुखों से बाहर निकलना मुश्किल होने पर, उन्हें सीमित कर देना ही बेहतर होता है ।
मैं सोचता हूं, क्या शतरंज के माहिर खिलाड़ी को भी जिंदगी में अपनों से मात मिलती होगी ??
संगति के असर का एहसास , संगति छोड़ने के बाद होता है ।
यकीन मानिए आपकी उपलब्धियों पे आपसे भी ज्यादा खुश सिर्फ आपका परिवार हो सकता है ।
अलग होना प्रकृति का नियम है। तो बजाय ये सोचने के, कि हम कभी अलग न हों, ये सोचना ज्यादा अच्छा है कि जब तक साथ हो, बेहतरीन तरीके से हो ।
अपने विरह की तपती बूंदों का तुम्हारे मन के शीतल धरातल के साथ शांति समझौता कराना चाहता हूं, मैं भी सफ़ेद कबूतर उड़ाना चाहता हूं ।
लोगों की भाषा और उनका व्यवहार ये निश्चित करता है कि उनका स्वागत swag से होगा या slap से ।
प्रकृति से बस एक भूल हुई, उसने इंसान बनाया ।
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