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जीस दिन हर इन्सान में इंसानियत जाग उठेगी उस दिन इस जहान में कोई #मंदिर , कोई मस्ज़िद या कोई चर्च की जरूरत नहीं पड़ेगी... क्यों की इन्सान का नाता कुदरत से हे ओर कुदरत सिर्फ एक हे... ओर जीस दिन हर इन्सान कुदरत से जुड़ जाएगा समझो स्वर्ग यही पर बन जाएगा.. स्वयंम विचार की जिये.
जिन्दगी जीने का हक सिर्फ उनको हे जो #संघर्ष करना जानता हो.. वरना मरना कोन सी बड़ी बात है... विचार की जिए जरा..
#आराम तो यहां रूह को भी नहीं मिलता कब्र में "चांद", ओर हम तो अभी जिंदा है... सोच लो
#झगड़ा किस बात का यारों तू भी इन्सान में भी इन्सान...बस इतना सोच लो
अब क्या गुफ्तगू करु यारों मेरे इश्क़ की जमीं बनकर हमने फलक से इश्क कर लिया, जी ते जी हमने खुद को, दर्द की मिसाल बना लिया, खुद तो गुलो से सजा दिया उनको "चांद", ओर हमने कांटो से दामन भर लिया. #मिसाल
जब हर इन्सान इक दुसरेका आधार बनने की सोच अपने जहेन में पालना शुरू कर देगा तो दुनियामे कभी किसिके जिवनमे कोई "भार" नहीं रहेगा... आप स्वयंम विचार कीजिए.(चांद) #भार
#अमंगल तो यहां कुछ भी नहीं होता, बस सोच सही होनी चाहिए... आप खुद ही विचार की जिए.
लिखना तो सायाद इस लिए शुरू किया की कुछ जगा खाली हो जाएं और नए कुछ दर्द को पनाह मील जाएं... वरना अब भेट सोगादो में रख्खा क्या है.(चांद)
#बेख़बर
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