Quotes by heena arora in Bitesapp read free

heena arora

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@heenaarora8149


लहर तेरी बाँहों सी फेन तेरे चुंबन से | I Just Play #poetry
प्यार एक ऐसा एहसास है जो बस खुश हो कर जिया जाना चाहिए| ना कि रो रोकर उसका दिखावा करना चाहिए|
#An Unconditional Love
#Deep Love
#Fair Love
# True Love
#feeling
#hindipoetry
#hindishayari
#Intense poem

written and spoken by Heena arora
vedio pixabay.com

बस खेला करती हूँ।

हर क्षण मैं
तेरे सपनों के
सागर में
डौला करती हूँ।

इन प्रेम के
तूफानों से
हंस-हंस के
खेला करती हूँ।

हर लहर तेरी बाँहों से
फेन तेरे चुंबन से
ये खारापन लंबे से विरह को
मिटाकर अमृत बनाता सा

ये ज्वार भाटे
अभीसार से जिनमें
मैं न डुबती हूँ ना
तैरती हूँ|

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ईश्क एक सुन्दर पागलपन है / जिसमें पूरा ही दीवानापन हैं / #love #cragyness #hindipoetry

प्रेम में डूबकर मैं सारे बंधन तोड़कर बस अपने प्रेमी को बहलाने में लगी हूं / जैसे राधा कृष्ण की प्रीत में डूबकर सुध बुध बिसार देती थी
#love
#love status
https://youtube.com/shorts/SW6wjzy40CU?feature=share

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Destiny of Radha: Written With Sorrows Without Krishna | कृष्ण से वियोग पाकर राधा चली मीरा बनने |कृष्ण से वियोग के कारण राधा का मन व्याकुल हैं | वो क्रोधित भी हैं और क्षोभित भी हैं | कभी वो वैरागी हो जाना चाहती हैं तो कभी अपनी नियति पर आंसू बहाती हैं | वो विश्वास भी नही कर पा रही हैं कि उनके मोहन उनसे दूर हो गए हैं |
#कृष्ण
#krishna
#radhakrishna
#devine love
#unconditional love
#hindi poetry
#hindi kavita
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#hindi poetry on radha krishna

कब जाना कि तोडदूँ
ये बंधन
आज भी प्रिय थे।
खोजती हूँ अब तक,
पर नयन भर स्वप्न भी नहीं।
जलादूँ सारे उजाले,
पर बिध्वंस भरी तपन भी नहीं।

चुकाती प्रीत को गौरव,
बनाती प्रिय को सौरव
पर नहीं ये प्रेम एसा,
कि पतिंगे ज्योत में जले।
पर नहीं ये निर्माण एसा
कि प्रतिमा से प्राण झाँके।
ये तो कुछ अतृप्ति पुष्प कि,
मधुबन रास रचाती है।
ये तो कुछ कृष्ण के मन,
लीला सजाती है।
कैसे करूं विश्वास पूर्णता निष्फल जीवन
को अंत देती
अपूर्णता निष्फल जीवन को शुरू करती
कब जाना कि तोडदूँ
ये बंधन
आज भी प्रिय थे।

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मनमोहन रे प्रियतम मेरा प्रेम तो बस यहीं हैं // #हिंदी #hindipoetry #krishna #shorts #viral #trending #कृष्ण #krishnabhajan #krishnapoetry
#love #unconditional

हे मनमोहन, रे प्रियतम
सुन प्राणों के सखा रे,
मेरी अराधना असफल होकर भी मन तेरे प्रेम के बीज बोती गई।

साज श्रृंगार तन का,
सब स्नेह के झूठे बंधन है।
गलबहियां के हार,
सब मिथ्य मन के दिलासे है।
नयनों की गहनता में डूबना,
संग-संग हवाओं में उड़ना,
ये मेरी प्रीत का सत्य नहीं है।

जो जीवन के पार मृत्यु में,
जो मृत्यु के पार जीवन में है।
उस चक्र में तु परम् रहा
और जो पिसता रहा,
मेरा प्रेम बस यही है।

हे मनमोहन, रे प्रियतम
सुन प्राणों के सखा रे,
मेरी आराधना असफल होकर भी मन तेेरे प्रेम के बीज बोती गई।

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