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"जीवन मृत्यु से", को मातृभारती पर पढ़ें : https://www.matrubharti.com भारतीय भाषाओमें अनगिनत रचनाएं पढ़ें, लिखें और सुनें, बिलकुल निःशुल्क!
इश्क ही है ईश्वर प्रेम ही है खुदा!! रूका है मोहब्बत न झुका है मोहब्बत! इश्क करते है जो वो तो करते रहेगे!! दूर हो पास हों......पास हों दूर हों! वह तो बस मिलन को मचलते रहेगे!! लाख कांटे बिछाये तुमने राह ... में! वे तो आह सह कर भी चलते रहेगे!! एक जीवन गया तो क्या हो गया? मौत के बाद भी वो तो मिलते रहेगे!! वर्षा होती है तो प्यार के नाम पर! हुश्न और इश्क तो तर होते रहेगे!! आँधियाँ धूल के साथ चलती रही! कमजोर तूफान उनको कर न सका!! तुम उलझे रहो नफरतों की पर्त में! दिवार कोई न कैद उनको कर सका!! ये हरियाली, ये मौसम दूर दूर तलक! बैगाम मोहब्बत का बस देता रहा!! टूटते है तारे गगन में बहुत मगर! जन्म तारों का कोई रोक न सका!! सूरज भी है चाँद भी है तारे भी है! रौनक को कोई कम कर न सका!! बादल आयेगे भी अन्धेरा भी सत्य है! दूर देखो सूरज फिर निकलने लगा!! आओ इश्क की पूजा हम सब करे! इश्क ही है ईश्वर प्रेम ही है खुदा!! हरीश वर्मा हरी दूरभाष- 8840812718 मेल-harishkumarverma140@gmail.com निवास-140, IRWO, संगम वाटिका, झलवा, इलाहाबाद- 211012
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