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सूरज-सा चमकना हर कोई चाहता है पर इतनी आग में तपना कोई नहीं चाहता।
चालीस तक उड़ते रहने के ख्वाब, साठ तक ठहराव, साठ के बाद उतरने के खयाल। मिट्टी से चले थे, मिट्टी में मिलने जा रहे।
वे फीते के साथ तैयार रहते हैं। किसी का कद एक इंच बढ़ा तो उनकी कुल्हाड़ी एक इंच जमीन काट देती है।
मेरे बड़े-से घर में वह एक रोशनदान की तरह है जो है तो बहुत छोटा मगर वह न हो तो दम घुटने लगता है।
उन दोनों की आँखों से आँखों की बातों ने मेरी आँखें खोल दीं।
जरा-सा स्पर्श प्यार की अनुभूति दे जाता है, दोस्त से मन की बात करना दोस्ती का अहसास दे जाता है।
उनकी धारदार भाषा की धार इतनी तीखी थी कि आँसू धार-धार बहने लगे।
अपनी कमजोरी पर कम जोर दें क्योंकि जितना जोर देंगे उतना यह हमें चबाती रहेगी।
गरम-गरम तेल में डालने पर हर किसी को दर्द होता है, हरी मिर्ची को भी। अपने उस दर्द को वह सबको महसूस करवाती है, खाँसने को मजबूर करती है।
लंबी दूरी के रिश्ते अपने-अपने वजूद में ढले सिक्के हैं जो समय के साथ चलते हैं, कभी भी उनका चलन बंद हो सकता है।
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