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मैं हूँ प्रेम दिवाना जग का भेद न जाना अलग खलक में जीता हूं r प्रेम का चौगा पहन के चलता हूं दुनिया तेरी रीत निराली अजब गजब कहर ढानें वाली
खुश रहो तुम यह दुआ करते है दुरिया बढ गई , जिन्दगी बंट गई मगर तकलीफ़ तुम्हारी, चैन अब भी उङाती इश्क का जुनून दिवाना बनाता है तन्हा जीवन परवाह है करता
तेरा मेरा बिछड़ना भी निराला रहा आंखें बोली मन रोया जीभ न हिली नदियां बही प्रेम सूधा कि समुन्दर आया मिलने को ललचाया मिल नहीं पाया उङता पंछि तुमको देख निस्तब्ध रहा ईश्वर ने तेरा मेरा संग न कराया जाते जाते तूने न जाने क्या कहा मैं सुन न पाया एक दफा लौट आ रे प्रियतमा कब तक देखूं तेरी बाट राह तकत तकत चक्षु भयी धुमिल ।।
हाथों में करबाल लिये , मुँह से अनुरागी उर धूर्त पेचीदा बाणी , फिर भी कहै हम है भद्र प्राणी
सभ्य संसार कि सभ्य वार्ता कोरोना है इंसानियत का रास्ता #सभ्य
whenever you want to cry then cry freely
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