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हम इस तमीज़ के साथ उस के पास बैठते हैं, कि जैसे शाह के क़दमों में दास बैठते हैं। बस एक तू है जिसे दोस्त बोलता हूँ मैं, वरना साथ में ऐसे पचास बैठते हैं। मैं इस लिए भी कभी खुल के हँस नहीं पाता, उदास लोग मिरे आस-पास बैठते हैं। बिठाते वक़्त मुझे दिल में ये कहा उस ने, ये वो जगह है जहाँ लोग ख़ास बैठते हैं।
व्यंग्य - Gaurav Pathak
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मन करता है, जिंदगी के अपनी किस्से कहूँ , फिर सोचता हूं किस ' से' कहूँ । - Gaurav Pathak
कुछ यादें याद रखना, कुछ बातें याद रखना, हम तुम साथ नहीं रहेंगे जिंदगी भर, लेकिन हम कभी साथ थे, यह हमेशा याद रखना! - Gaurav Pathak
--- **नहीं है अर्जुन की धनुषधार, नहीं है रावण सा अभिमान। नहीं है भीम का गहन विचार, नहीं है हनुमान का अद्भुत पराक्रम महान। नहीं है कर्ण का कवच और कुंडल, नहीं है भीष्म की प्रतिज्ञा अमर। नहीं है द्रोण का शस्त्र-कौशल, नहीं है शकुनि सा छल भरकर। पर मेरे पास है एक हथियार, जिसकी धार है सबसे प्रखर। न तलवार, न बाण, न ढाल, यह कलम है मेरा सबसे बड़ा संबल। कलम से जग को बदल दूँगा, अन्याय को धूल में मल दूँगा। अंधकार में उजियारा भर दूँगा, हर दिल में विश्वास जगा दूँगा। यही है मेरा असली शस्त्र, यही है मेरी पहचान। कलम ही है मेरी शक्ति, कलम ही है मेरी जान। यही है मेरी तलवार!**
कलम तोड दी मैंने....... और फिर कलम तोड दी मैंने , एक गजल अधूरी छोड दी मैंने , मंजिल आँखो के सामने थी , पर अपनी कश्ति मोड दी मैंने , उसने कहा ये मुमकिन नहीं मैं तुम्हारे हाथो की लकीरो में नहीं , तुम अच्छे दोस्त हो मेरे ..... और फिर अपनी सारी अच्छाइयाँ छोड दी मैंने , और फिर एक -2 करके आला- 2 बुराईयाँ जोड ली मैंने , और फिर खुदको इतना बेजार किया मैने , अपना बहुत नुकसान किया मैंने, देह का तो क्या ही बयाँ करूँ दिल को भी बहुत दर्द दिया मैंने , फिर एक दिन खुद से ये सवाल किया मैंने , कि जीने की ख्वाहिस क्यो छोड़ दी मैंने , वो बनना सँवरना वो हँसना हँसाना , वो लड़ना झगड़ना रूढना मनाना , वो दोस्तो में किस्से कहानी सुनाना , आधा सच बताना आधा अपना मिलाना, वो यारो के बीच हँसी ठहाके लगाना , वो सब पर अपनी खुशियाँ लुटाना , वो माँ को सताना उसे अपने पीछे घुमाना , उसे सारे दिन का हाल खुलकर बताना , ये सारी हरकते एक झटके में छोड दी मैंने , अपनी जिन्दगी में एक गहरी खामोशी जोड ली , हाँ.....कलम तोड दी मैंने।
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तेरी यादों की रौशनी से दिन मेरा सज जाता है, तेरी मुस्कान से हर सवेरा निखर जाता है। तेरे बिना अधूरी लगती है ये सुबह की बेला, तेरी आवाज़ से महक उठता है दिल का झमेला। सूरज की किरणें भी तुझसे प्यारी नहीं लगती, Good Morning मेरी जान, तू ही तो ज़िंदगी है सच्ची। ❤️🌞
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