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GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)

GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)

@ganeshptewarigmail.com064906


वीर पुरुष को चाहिए, कोमल‌ वाणी बोल। दूर रहे अरु दोष से, वह प्राणी अनमोल।। दोहा--313
{नैश के दोहे से उद्धृत)
------गणेश तिवारी 'नैश'

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धर्म कार्य करते रहो, करो न यश‌ की आस। लेन-देन के फेर में, हटता है विश्वास।। दोहा--312
(नैश के दोहे से उद्धृत)
------गणेश तिवारी 'नैश'

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धर्म रहित हर कार्य में, मिलता पुष्कल लाभ। पर धर्मी‌ समझे इसे, धन यह‌ है रक्ताभ।।
दोहा--311
(नैश के दोहे से उद्धृत)
---गणेश तिवारी 'नैश'

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यहाँ अकेला‌ जगत में, ऐसा तू मत‌ सोच। परम पुरुष है साथ फिर, क्यों करता संकोच ?। दोहा--310
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'

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पाप कर्म से मनुज‌ की, बुधि होती है क्षीण। पुण्य कर्म से मनुज की, होती बुद्धि प्रवीण।। दोहा--309
(नैश के दोहे से उद्धृत)
----गणेश तिवारी 'नैश'

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करना है शुभकर्म जो, तुरत‌‌‌ करो प्रारम्भ। नहीं ठिकाना मृत्यु का, इसे करो अविलम्ब।। दोहा--308
(नैश‌ के दोहे से उद्धृत)
------गणेश तिवारी 'नैश'

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करो धर्म पालन सदा, रखो न किंचित चाह। आ जाएगी मृत्यु‌ कब ? कभी न‌ देखे राह।। दोहा--307
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'

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धर्म आचरण रहित नर, करें संत उपहास। किंचित संशय है नहीं, होगा उनका नास।। दोहा--306
(नैश के दोहे से उद्धृत
-----गणेश तिवारी 'नैश')

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मिलन-विछोह मनुष्य का, चलें काल‌ की चाल। तरु छाया में ठहर नर, ज्यों चलता‌ तत्काल।। दोहा--305
(नैश के दोहे से उद्धृत)
------गणेश तिवारी 'नैश'

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बीता कल आता नहीं, बढ़े आयु की चीर। ज्यों प्रवाह में बह गया, सप्त सिंधु का नीर।। दोहा--304
(नैश के दोहे से उद्धृत)
------गणेश तिवारी 'नैश'

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