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GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)

GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)

@ganeshptewarigmail.com064906


धन आए जो नीति से, उसका है सम्मान। पर अनीति से‌ जो मिला, वह‌ धन ज़हर समान। दोहा--225
(नैश के दोहे से उद्धृत)
----गणेश तिवारी 'नैश'

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मुझको जो कुछ है मिला, नहीं हमारा कर्म। यह तो प्रभु की है कृपा, यह है इसका मर्म।। दोहा--224
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'

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काम क्रोध हर वृद्ध का, हो जाता है शान्त। किन्तु लोभ बढ़ता‌ गया, जिससे हुआ अशान्त।। दोहा--223
(नैश के दोहे से उद्धृत)
----गणेश तिवारी 'नैश'

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सत्व कर्म की राह में, जब होता अभिमान। रज तम पर तब गिरे नर, खोता निज सम्मान।।
दोहा-- 222
( नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'

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मन विरुद्ध हो बात पर, तुम्हें न आए क्रोध। चिढ़ना कुढ़ना बन्द हो, समझो हुआ निरोध।।
दोहा--221
(नैश के दोहे से उद्धृत)
---गणेश तिवारी 'नैश'

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चिन्तन की धारा मुड़े, अपने प्रभु की ओर। इन्द्रिय सब वश में रहे, बढ़े न मन की‌ डोर।। दोहा--220

जग की माया है प्रबल,जीव उसी में युक्त। आत्म विषय की सोच से, हो सकता यह मुक्त।। दोहा--219
(नैश के दोहे से युक्त)
------गणेश तिवारी 'नैश'

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नर का मन चञ्चल बहुत, मत करना विश्वास। काम क्रोध लोभादि सब, उसके अपने खास।
दोहा--218
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'

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सत रज तम के मार्ग में, सत से मिलता स्वर्ग। रज वाला‌‌ राजा बने, तम से मिलता नर्क।।
दोहा--217
(नैश के दोहे से उदधृत)
----गणेश तिवारी 'नैश'

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लगा हुआ जो वस्त्र में, धुल सकता है दाग। किन्तु कलेजे में लगा, नहीं छूटता दाग।। दोहा--216
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'

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