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GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)

GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)

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हरि सुमिरन में‌ जो‌ लगा, छोड़ जगत का मोह। खींचे वह‌ निज भक्त ज्यों, खींचे चुम्बक लोह।।
‌‌दोहा--185
(नैश के दोहे से उद्धृत)
----गणेश तिवारी 'नैश'

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ज्ञान कर्म को छोड़कर , जो करता हरि भक्ति। मिले उसे आनन्द तब, बढ़ती उसकी शक्ति।।
दोहा--184
(नैश के दोहे से उद्धृत)
---गणेश तिवारी 'नैश'

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मानव पाकर देह यह, किया विषय का भोग। अमृत के बदले किया, विष का सदा प्रयोग।। दोहा--183
(नैश के दोहे से उद्धृत)
----गणेश तिवारी 'नैश'

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पाकर नर की देह यह,किया न भव‌ को पार। कब पाओगे देह नर ? कब होगा भव‌ पार ?दोहा--182
(नैश के दोहे से उद्धृत)
--गणेश तिवारी 'नैश'

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छाया था धन का नशा, रहा न किंचित होश। बना नहीं परलोक तो, मढ़ा भाग्य पर‌ दोष।। दोहा--181
(नैश के दोहे से उद्थृत)
---गणेश तिवारी 'नैश'

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दुर्लभ है यह देह नर, इससे मिलती मुक्ति। बना लिया परलोक को, जिसने की कुछ युक्ति।
दोहा--180
(नैश के दोहे ‌से उद्धृत)
----गणेश तिवारी 'नैश'

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आयु गवाँ दी पाप में, क्यों करता अब शोक।‌ पाया नर‌ की देह पर, बिगड़ गया परलोक।। दोहा-179
(नैश‌ के दोहे से उद्धृत)
------गणेश तिवारी 'नैश'

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मुश्किल से हमको मिली, मानव की‌ यह‌‌ देह। देवलोक‌ के देव भी, रखते इससे नेह।। दोहा--178
(नैश के दोहे से उद्धृत)
----गणेश तिवारी 'नैश'

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श्रेष्ठ पुरुष‌‌ को चाहिए करे सभी से प्यार। ईश बसे हर एक में, सब में वह उजियार।। दोहा--177
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'

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दूर देश स्त्री मिले, मिले कहीं भी मित्र। किन्तु सहोदर नहिं मिले, नाता परम पवित्र।। दोहा--176
(नैश के दोहे से उदधृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'

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