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GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)

GANESH TEWARI 'NESH' (NASH)

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प्रभु दर्शन होता उसे, जिसमें बढ़ती भक्ति। कर्मनाश होता स्वतः मिलती उसको मुक्ति।। दोहा--165
(नैश के दोहे से उद्धृत)
गणेश तिवारी 'नैश'

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मन संज्ञक जो व्याधि है, कैसे होगी ठीक ? अंकुश से वश में करो, स्वतः रहेगी ठीक।। दोहा--164
(नैश के दोहे से उद्धृत)
‌ ----गणेश तिवारी 'नैश'

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रक्त मांस की देह यह, इसमें क्या है ठीक ? फिर भी क्यों है मुग्ध नर, सब कुछ जब‌ बेठीक।। दोहा--163
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'

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रक्त मांस की‌‌ देह यह, इसमें क्या रमणीक ? फिर भी मानव मुग्ध है, इसे समझकर ठीक।। दोहा--162
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'

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ममता से बँधकर मनुज, हुआ जगत‌ में लिप्त। ममता से जब वह हटा, हुआ तुरत निर्लिप्त।। दोहा--161
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश ति‌वारी 'नैश'

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करता है शुभकर्म जो, जाता है वह‌ स्वर्ग।
ध्यान करे जो ईश‌‌‌ का, पाए वह अपवर्ग।।
दोहा--160
(नैश के दोहे से उदंधृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'

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लिए कर्म शुभ-अशुभ नर, जाता है परलोक। कर्मफलों को भोगने, फिर आता इस‌ लोक।। दोहा--159
(नैश के दोहे से उद्धृत)
---गणेश तिवारी 'नैश'

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करके तुम शुभ कर्म को, बन सकते इन्सान। अशुभ कर्म से बनोगे, जग में तुम शैतान।। दोहा--158
(नैश के दोहे से उद्धृत)
-----गणेश तिवारी 'नैश'

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प्रभु दर्शन के बाद नर, पाता एक मुकाम।
नदी मिले ज्यों सिन्धु में, खोती अपना नाम।। दोहा--157
(नैश के दोहे से उद्धृत)
------गणेश तिवारी 'नैश'

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इन नयनो से ईश का, दरश नहीं है भाव्य।
दिव्य नयन से ईश का, दर्शन पर सम्भाव्य।। दोहा--156
(नैश के दोहे से उद्धृत)
---- गणेश तिवारी 'नैश'

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