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जिंदगी की किताब में तू वो पन्ना बन, जो हर बार पढ़ा जाए और हर बार कुछ नया सिखा जाए। #thoughtoftheday
कुछ ख्वाब टूटने नहीं चाहिए, चाहे थक जाएं कदम… उड़ान में फर्क आ सकता है, पर मंज़िल में नहीं।
नई शुरुआत है — थोड़े टूटे हो, चलेगा… थोड़े थके हो, वो भी चलेगा… बस अब रुकना नहीं, क्योंकि शुरुआत बड़ी नहीं होती, उसे बड़ा तुम्हें ही बनाना होता है।
Responsibility! It sometimes feels like a burden, but in reality, it’s what gives us direction. When we make a decision, it’s not just our task, it’s a way of doing something for ourselves too. Whether it's taking care of family, chasing your dreams, or owning up to your mistakes, responsibility is in everything. Sometimes, it feels like responsibility is too big to handle, but the truth is, when we understand it with the right mindset, it becomes strength, not a burden. Managing every aspect of our life is also responsibility. And when we own it, we not only strengthen ourselves but also set an example for others. In real life, handling responsibility is something everyone has to do. Whether it’s small or big, until we make a promise to ourselves, we can't expect it from anyone else.
भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी:- हर सुबह अलार्म की तेज़ आवाज़ से आंख खुलती है, और नींद को ताक पर रखकर हम एक ऐसी दौड़ में शामिल हो जाते हैं जिसकी कोई finishing line ही नहीं दिखती । सुबह से लेकर रात तक बस time table, deadline, meetings, classes, और न जाने क्या-क्या। कभी लगता है हम जी नहीं रहे, बस समय को काट रहे हैं। चाय का कप भी ठंडा हो जाता है इंतज़ार करते-करते कि शायद अब दो मिनट मिलें सुकून के, लेकिन नहीं… अगला काम तैयार खड़ा होता है। हम सब इतना कुछ हासिल करना चाहते हैं कि जीना ही भूल गए हैं। दिल की बातें, अपनों की हंसी, खुद से मिलने का वक्त… सब मिस हो जाता है इस भाग-दौड़ में। पर क्या ज़रूरी है हर रोज़ भागना? कभी-कभी रुककर भी देखो… सांस लो, आसमान देखो, चाय गरम ही पी लो। क्योंकि ज़िंदगी कोई race नहीं, ये तो एक सफर है — और सफर का मज़ा तभी है जब हम हर मोड़ को महसूस करें।
आज की जनरेशन में कई बार ऐसा लगता है कि बच्चों को माँ-बाप समझ ही नहीं पाते। पहले जहाँ परिवारों में रिश्तों की गहरी समझ और विश्वास होता था, वहीं अब वह सब धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। बच्चों को हमेशा यह लगता है कि कोई उनकी सोच और उनकी भावनाओं को समझने की कोई कोशिश ही नहीं कर रहा है। माँ-बाप की नज़रें अब केवल बच्चों के रिजल्ट्स और उनके बाहर के नजरिए पर टिक गई हैं। वे यह भूल जाते हैं कि बच्चों की दुनिया सिर्फ पढ़ाई, कैरियर और पैसों से जुड़ी नहीं है। बच्चों के पास भी अपनी इच्छाएँ और समस्याएँ होती हैं, जिनसे वह अकेले ही जूझते हैं। लेकिन माँ-बाप को उनकी मानसिक स्थिति या भावनाओं की अहमियत कभी समझ में नहीं आती। आजकल के बच्चे खुद को अकेला महसूस करने लगे हैं, क्योंकि वे जिस दुनिया में जीते हैं, वह बहुत अलग है, social media, दबाव, और fast लाइफ ने उन्हें अपनी बात कहने का कोई मौका नहीं दिया। माँ-बाप को लगता है कि वे सही रास्ते पर हैं, लेकिन अक्सर यह भूल जाते हैं कि बच्चों का मन और उनके विचार भी महत्वपूर्ण हैं। माँ-बाप का प्यार हमेशा बच्चों के लिए होता है, लेकिन कभी-कभी यह बिना समझे, बिना पूछे दबाव बन सकता है। वे यह नहीं समझ पाते कि हर बच्चे की अपनी एक अलग यात्रा होती है, और उसे पूरी तरह से जानने और समझने के लिए समय और धैर्य की जरूरत होती है। आज की पीढ़ी और उनके माता-पिता के बीच की इस असहमति और गहरी खाई को पाटने के लिए दोनों को एक-दूसरे के नज़रिए को समझने की जरूरत है। बच्चों को सिर्फ अपने फैसले नहीं, बल्कि उनके emotions को भी समझना जरूरी है, ताकि सही मायनों में परिवार एक दूसरे का सहारा बन सके। #justathought
"Vishesh Membership: Jab Writers ko Writer Se Reader Banaya Gaya" Kya aap ek passionate writer hain? Kya aapne dil se likha, raat bhar jagkar likha, aankhon se aansu tapak ke likha? Toh badhai ho! Aapka likha aap tak hi seemit rahega — jab tak aap Vishesh Membership nahi lete. Haan, sahi suna! Aapke readers ne comment kiya? → Dekhna hai? Toh Vishesh lo. Aapko pata karna hai kisne padha, kisne pasand kiya? → Simple hai! Vishesh lo. Analytics chahiye? → Vishesh nahi liya? Toh writer nahi, bas andhere mein likhne waala majdoor ho! Yeh membership aisi hai jise lene ke baad bhi lagta hai — "Shayad meri kalam se nikaale alfaazon ne kisi dil ko chhoo liya ho, par pata nahi chal paaya... kyunki Vishesh nahi liya." Aur platform ka logic? "Aapke jazbaat tab tak maayne nahi rakhte, jab tak aap humare kharche mein bhaagidar nahi bante." Matlab: Writers likhte hain, readers padhte hain, aur beech mein platform hans ke paisa count karta hai. Janta maaf nahi karegi! Vishesh membership? Zarurat nahi... Zaroorat se zyada atyachaar hai! #funny
"पढ़ाई – एक अधूरी लव स्टोरी" पढ़ाई भी बड़ी self respect वाली चीज़ है… अगर दिल से करो तो ही समझ आती है, वरना घूरती रहती है किताबों के पन्नों से — "जा, जी ले अपनी ज़िंदगी।" टीचर बोले — “पढ़ लो बेटा, ये तुम्हारे भविष्य का सवाल है।” हम बोले — “फ्यूचर की इतनी फिक्र थी तो पास्ट में छुट्टियाँ क्यों दी थीं?” Reading table है, lamp है, किताबें हैं, highlighter है… बस पढ़ने की "इच्छा शक्ति" Amazon पे order की है, वो भी अगले महीने आएगी। एग्ज़ाम के एक दिन पहले ब्रह्मज्ञान प्राप्त होता है — "अब कुछ नहीं हो सकता… चलो भगवान पे छोड़ते हैं!" और फिर नोट्स के साथ नज़रें मिलती हैं, जैसे बिछड़े प्रेमी वर्षों बाद मिले हों — पर अब कुछ कर नहीं सकते!
"अलार्म – वो धोखेबाज़ दोस्त" सुबह-सुबह अलार्म चिल्लाया — "उठ जा बेटा, ज़िंदगी इंतज़ार कर रही है! मैं बोली— "भेज देना ज़िंदगी को व्हाट्सएप पे, मैं सो रही हूँ।" अलार्म रोज़ बजता है, मैं रोज़ snooze करती हूँ। अब तो अलार्म भी थक गया है — कहता है, “बहन तू उठे या ना उठे, मैं तो जा रहा हूँ… Good luck!” नींद और मैं, एक अधूरी मोहब्बत हैं, जिसे दुनिया की सारी ज़िम्मेदारियाँ अलग करना चाहती हैं। पर हर सुबह, मैं उसी से मिलती हूँ — 5 मिनट और… बस 5 मिनट और…
"ढलता सूरज" ढलता सूरज ये सिखा गया, हर अंत में इक शुरुआत छिपा गया। लाली लिए जो चला गया, नया सवेरे का वादा कर गया। थकान से मत घबरा ऐ राही, अंधेरे के बाद ही रौशनी आई। हर ढलती किरण कहती है ये, कल फिर चमकने की बारी है तेरी। जो आज रुका है, वो हार नहीं, बस थोड़ी देर की तलबगार सही। हौंसले को तू ज़िंदा रख, हर ढलते पल में उम्मीद रख। ढलता सूरज भी ये कहता है, "मैं गया तो क्या, फिर लौटूंगा। संघर्ष के बाद जीत मिलेगी, बस तू मत रुक, तू चलता रह।"
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