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ज्ञान घटता नहीं बढ़ता ही जाता है। बंटाते रहो पीढ़ी दर पीढ़ी तो ज्ञान का अथाह सागर बन जाता है। ध्यान रहे बस इतना की, ज्ञान पाने को शीश झुकाना होता है, खड़े रहे जो तनकर तो ज्ञान भी आधा होता है। अभिमान और ज्ञान कभी साथ नहीं रहे सकते हैं, यूं ही नहीं बड़े -बड़े ज्ञानी भी शीश नवाये रहेतें हैं। जो जितना विनम्र हो जाता है, उसका उतना ही ज्ञान बढ़ता जाता है। दिन ब दिन साल दर साल, ज्ञान घटता नहीं कभी है, बस बढ़ता ही जाता है। निर्भर है ज्ञानार्थी पर, कौन कितना ग्रहण कर पाता है... । Pratima Pandey
तुम्हारी तरफ से ये जो हवाएं आ रही है तुम्हारा हर पैग़ाम हम तक पहुंचा रही है। तुम समझते हो सब भूल गए हैं हम, तुम्हारे ही खत्तों को अब भी समेट रहे हैं हम । Pratima Pandey -Pratima Pandey
https://youtu.be/VePhQcXmhoE
कोई इंतिहा नहीं, ज़िंदगी के इम्तेहान की। बात हो चाहे फिर जैसे भी प्यार की, मंज़िल मिलने से पहले,मुश्किलें आयेंगी ही हजार जी। समझ लीजिए कि बिना कुछ खोए , नहीं यहां कुछ पाना है आसान जी। Pratima Pandey #inspirational
youtu.be/fAphwqI-M0o
Kai raatein jaagi h meri ek teri cahat m Kai kwahisein dafna di maine bs teri ibadat m Khud ko Kitna badal chuki hun, bacha nhi h ab mera kuch bhi mujhme ek teri hasrat m.. Kuch rha nhi h ab khone ko, sb kho gya h door kahin bs ek teri mohabat m Der ho gayi h bhoot magar,Kuch lamhe to ji lun m bhi fursat k tu jo mil jaye mujhe haqiqat m... Pratima Pandey
जिस पेड़ के नीचे बैठ कर तुम गुनगुनाया करते थे, उसी पेड़ की डाली पर तोता- मैना शाम बिताने आया करते थे! मुझे याद है कैसे हम - तुम एक दूजे को देख मस्काया करते थे। मेरे घर की खिड़की के दरवाज़े उसकी एक टहनी से हाथ मिलाया करते थे, जब रोज़ शाम को हम चाय लिए बरामदे में आ जाय करते थे। तरह -तरह के गाने गाकर तब तुम मेरा मन बहलाया करते थे। कुछ तो था जो बस शुरू हुआ था, कैसे दूर -दूर होकर भी हम तुम पास रहा करते थे, दोनों ही एक दूसरे के लिए खास रहा करते थे! एक सच से हम - तुम अंजान थे, श्याद दोनों ही नादान थे। जो शुरू हुआ था ,उसे खत्म होना ही था। मूसाफिरों को अपना अपना घर छोड़ना ही था, एक ठिकाने को हम - तुम घर समझ बैठे थे, छप्पर को घर की छत समझ बैठे थे। अपने - अपने सफ़र पर हम - तुम चल दिए थे, मगर उस पेड़ पर यादों के निशान कई थे। सुना है अभी रहेतें हैं हम - तुम वहां, तोता - मैना की जुबानी वो पेड़ जब भी सुनाता है हमारी कहानी.....। Pratima Pandey
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