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"बहुत लम्बी" "खामोशी" से गुजरा हूं मैं ! "किसी से" कुछ कहने की "कोशिश" में...। - D K Rajani
मेरी तो "गलतियां" भी मशहूर है ज़माने मैं, फिक्र वो करे जिनके "गुनाह" परदेमें है ~ D K Rajani
जरूरी नहीं हर ताल्लुक का मतलब मोहब्बत हो, कुछ रिश्ते मोहब्बत से ऊंचा मकाम रखते है... ~ D K Rajani
एक ही सख्स समझता था मुझे फिर हुआ यू की वो भी समझदार हो गया
छोड़ते भी नही हाथ मेरा और थामते भी नही, ये कैसी दिल्लगी है उनकी गैर भी नही कहते हमे और अपना मानते भी नही...! ~ D K Rajani
जब सजा दे ही चुके हो तो हाल न पूछना, गर मैं बेगुनाह निकला तो अफसोस बहुत होगा तुम्हे...। ~ unknown
तन्हाई अच्छी लगती है, सवाल तो बहुत करती पर, जवाब के लिए ज़िद नही करती...! ~ D K Rajani
हम "जुठो" के बीच मैं "सच" बोल बैठे, वो "नमक" का शहर था और हम "ज़ख्म" खोल बैठे...! ~ D K Rajani
हिसाब मैं रखता नही की "कितना पाया" "कितना गवाया" चाहत बस इतनी की दुःख बस वहां से ना मिले, जहां मैंने "सुकून" लुटाया...! ~ D K
"हशरत" पूरी हो न हो "ख्वाहिश" करना कोई गुनाह तो नहीं ~ D K
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