The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
चलते जा रहे है ,वक़्त से बेखबर होके.. कोई आके हमे मंजिल की इत्तला तो दे -Divy
साथ जो तेरा मिला , मिला एक सहारा ... तू एक ख्वाब सा हुआ , हुआ में एक अफ़साना... बस ख्वाइश यही रब से , चले साथ तू तब तक साँसे चले जब तक... -Divy
फुर्सत मीले तो कभी कभी उनका भी हाल पूछ लिया कीजिए... जो कभी आपके हाल देख कर खुद बेहाल होकर घूम रहे थे.... -दिव्य
बस चंद लम्हों की ही तो बात थी... सिर्फ नज़रो से नज़रे मिलाना था... मील तो हम भी न पाए उनसे, ऐसा अफ़साना जो हुआ.. अब उन्हें भी तो याद ही आना है, कहाँ चल के आना है -Divy
जलाना ही है तो जलाऊ क्यों किसी और को ? खुद जलु में और जलाऊँ अपने आप को.. जला कर खाक करदूँ , निकाल कर बाहर करदूँ .. उस चीज़ को जो जलाये किसी और को.... -दिव्य त्रिवेदी
રંગ બેરંગી તરાલિયા ની વચ્ચે ઘૂમે છે એ થયી એક રંગ... જોઈ રહ્યો હું એને મન માં ભરી ને ઉમંગ.. ભૂલ્યો હું ભાન થયી સાથે તેની મલંગ.. -દિવ્ય ત્રિવેદી
चलो एक शाम और बीती.. एक और दिन ढला... किसीसे न शिकवे हुए ना ही हुए गीले.. बस यही सोच कर चेन का एक चाँद और निकला... -Divy
फिर वो दिन आया , में गया उस जगह पर लिया एक कप चाय का, ओर याद आया उस जगह पर, जो बाते हुई थी वो भी याद आयी उस जगह पर, सब कुछ था उस टपरी पे, पर तु न था उस जगह पर.. -दिव्य त्रिवेदी -Divy
कर सकते हो तो करलो इंतजार रुख़ बदलने का, ये कोई चीज़ या कपड़ा नही की रोज़ बदला जाए.. क्योंकि ये एक मानसिक बीमारी है जो हर एक ज़हन में शामिल है.. चलो मान लिया कि पहने हुए छोटे कपड़े आपको लुभाये जा रहे है... पर वो नन्ही सी ज़ान के लिए बुरखा अभी भी बना नही..., रात के वो अंधेरे में वो चीखें कहि सुनाई नही दी.., क्योंकि ये एक मानसिक बीमारी है जो हर एक ज़हन में शामिल है #मानसिक -दिव्य त्रिवेदी
ये कैसा इश्क़ इस जहाँ से कर बैठे , याद तो है मगर यकीन नही है... -दिव्य त्रिवेदी
Copyright © 2024, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser