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इश्क़ आँखो में ले के कलम हाथो में ले के आ तुझे सपनो की दुनिया में उतारु आ जरा बैठ सामने तुझे पन्ने पे सँवारु!
ये मासुम चेहरा ये नर्म जुल्फें खुदा खैर करे अभी तो उम्र बाकि है।
कुछ झूठ, कुछ फ़रेब ऐसे ही होगा दुखों का आँगन सफेद रंग जाऊंगा खुशियों से, ज़िन्दगी का घर-द्वार आँगन समेत ऐसे में ज़िन्दगी कहाँ तकलीफ दे पायेगी जो हम बन जायेंगे ज़िन्दगी के रंगरेज...
सोचता हूँ कभी पन्नों पर उतार ले उन्हें। उनके मुँह से निकले सारे अल्फाजों को याद कर लूँ कभी। ऐसी क्या मजबूरी होगी उनकी, की हम याद नहीं आते। सोचता हूँ तोहफा भेज कर अपनी याद दिला दूँ कभी। सोचता हूँ कभी पन्नों पर उतार लूँ उन्हें..
ऐसा ना हो तुझको भी दीवाना बना डाले, तन्हाई में खुद अपनी तस्वीर न देखा कर।
इलाइची की महक ओढ़े अदरक का श्रृंगार कर सजी थी केतली की दहलीज से निकल कर प्याज की डोली में बैठी थी इस भागते हुए वक्त पर कैसे लगाम लगाई जाए ऐ वक्त.... आ बैठ तुझे एक कप चाय पिलाई जाए
Happiness comes a lot easier when you stop complaining about your problems and you start being grateful for all the problems you don't have.
बहुत तारीफ करता था मैं उसकी बिंदी की लफ्ज़ कम पड़ गए जब उसने झुमके पहने।। ❤️
अक्सर मैं तेरे प्यार के नगमे गुनगुनाता हूँ। होंठ मुस्कुराते है जब चाय का कप उठाता हूँ.
सांसें भी सरगम सी चलती है तुम्हें देख कर... . . बस अब एक मुलाक़ात हो और ज़िन्दगी का साज़ बदल जाये...
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