Quotes by Pandit Devanand Sharma in Bitesapp read free

Pandit Devanand Sharma

Pandit Devanand Sharma

@devsharmapresident9684
(19)

जुबान में गरमी इतनी मुंह मे रखे शोले तो नही हो
राज अब भी कई छिपा रखा है खोले तो नही हो
मेरी नजरो में देख कर भी नजर फेरने वाले सुनो
मेरे अहसास समझते नही इतने भोले तो नही हो

#भोळे

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खुद कों खुदा यहां का और पीर समझने वाले
अपने एलान को हमारी तकदीर समझने वाले
तुम्हारे पांव के नीचे से जमी खिसकेगी सुन लो
सत्ता को अपने बाप की जागीर समझने वाले
(देव शर्मा)

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बहुविध जतन किये हम भाई
पर सर चढ़ बोल रही महंगाई
रोटी कपड़ा भी मुश्किल अब
खाली जेब है बिन एक पाई

#बहुविध

जब सफलता का आंकड़ा प्रचंड हो जाता है
मनुष्य को अक्सर फिर बड़ा घमंड हो जाता है
खुद को समझ लेता है बादशाह दुनिया का
आंख खुलते ही सपना खण्ड खण्ड हो जाता है

#प्रचंड

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"प्रचंड के समानार्थी शब्द सोचते समय चेहरे पर मुस्कान आना तय है जैसे खण्ड, घमंड, दंड,
#प्रचंड

हमने दीवानगी की विरासत सम्हाल रखा है
दिलो में तमाम सी मोहब्बत सम्हाल रखा है
तुमने भुला दिया यादे लम्हे वफ़ा सब कुछ पर
हमने सूखे गुलाब पुराने खत सम्हाल रखा है

#विरासत

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तन लिखती है
मन लिखती है
बरखा बादल
सावन लिखती है
मेरी कलम
कागज को छूकर
प्रेम मिलन
"चुम्बन" लिखती है
#चुंबन

अपने पशुवत
व्यवहार को छोड़
बने पहले
सरल सहज सुलभ
"व्यक्ति"
जमाने भर में
फिर होंगे
बेहद कीमती
आपके विचार और
"अभिव्यक्ति"
#अभिव्यक्ति

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सालो बाद चांद छत पर उतर आया है
लगता है वो परदेशी फिर घर आया है
जिसे देखने को तरस रही थी आंखे मेरी
मुद्दतो बाद वही चेहरा नजर आया है
#चेहरा

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