Quotes by Prashant in Bitesapp read free

Prashant

Prashant

@devilsgaming851136
(2)

मैं बेगैरत सा इंसान,
तुम कहाँ... शहज़ादी,
जानती हो न मेरा सच,
क्या फिर भी मोहब्बत मुझसे कर पाती?

इसलिए तो कहता हूँ मैं —
प्यार से भागता रहा हूँ मैं,
क्योंकि डर है कि कहीं
तुझसे मोहब्बत न हो जाए,
मुझसे ख़्वाबों में भी ये क़यामत न हो पाए।

तू चाँद सी पाक,
और मैं साया —
धूप में भी काला,
रातों में भी तन्हा।

तू सुबह है, तो मैं शाम,
तू आसमां — मैं एक बदनाम नाम,

इस जन्म में तो हमारा मेल नहीं,
ये मोहब्बत है... कोई खेल नहीं।
कोई खेल नहीं... कोई खेल नहीं।

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इंतज़ार करता रहा मैं किसी का,
पर वो कभी आया नहीं,
प्यार करता था मैं दिल से,
मगर उसे बताया नहीं।

मौत की ख्वाहिश थी हर रोज़,
पर आज तक मर पाया नहीं,
मैं कायर था शायद,
इसलिए अपना दर्द दिखा न सका कहीं।

चुपचाप हर लम्हा काटा मैंने,
हर आह को मुस्कान में छुपा लिया,
लोग पूछते रहे, "खुश हो न?"
मैंने हर बार झूठ को हँस के जिया।

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