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गुनाहो का हिसाब मुझसे मत मॉगना मेरे मालिक कलम तो तेरी ही चली मेरी तकदीर लिखने में -Devesh Mishra
माना की दूरियाँ कुछ बढ़ सी गयीं हैं.. लेकिन तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तन्हा गुजरता है.. -Devesh Mishra
ये मेरी महोब्बत और उसकी नफरत का मामला है, ऐ मेरे नसीब तू बीच में दखल-अंदाज़ी मत कर। ❤❤ -Devesh Mishra
“सारा शहर उमड़ा होगा तुझे देखने को, पर तुझे मलाल रहेगा...कि हम नही आये।” -Devesh Mishra
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