The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
लफ्जो की दहलीज पर ,घायल ज़ुबान है......!! कोई तन्हाई से तो कोई, महफ़िल से परेशान है.....!!
लिखूं कुछ आज यह वक़्त का तकाजा है, मेरे दिल का दर्द अभी ताजा-ताजा है, गिर पड़ते हैं मेरे आंसू मेरे ही कागज पर, लगता है कि कलम में स्याही का दर्द ज्यादा है।
टूट कर बिखर गए पैमानों की तरह, वह हमे छोड़ गए बैगानो की तरह, हम दुआ करते रहे उनकी सलामती की, वह हमे बददुआ दे गए बैगानो की तरह....
नफरत मिली है ज़माने में, कैसे किसी से दिल लगाए..! सब कुछ तो खो दिया प्यार में, अब कहते हो उन्हें भी भूल जाए.।।
आज एक बात तो बताओ मुजे, जिंदगी ख्वाब क्यो दिखाती है.? क्या सितम है के अब तेरी सूरत.... गौर करने पे याद आती है। कोन इस घर की देखभाल करे.? रोज एक चीज टूट जाती है।
फूल इस सोच में गुम हैं, के कहाँ महकेंगे.? तितलियों के लब-ए-इज़हार पे पाबंदी है, कत्ल करने की खुली छूट है अब भी लेकिन.!! प्यार मत करना, यहाँ प्यार पर पाबंदी है।
न सही कुछ मगर, इतना तो किया करते थे.! वो मुजे देख के, पहचान लिया करते थे।
आज सोचा कि आपको जवाब क्या दु.? आप जैसे लोगो को खिताब क्या दु.? कोई और फूल हो तो मुझको नही मालूम, जो खुद गुलाब? हो उसे गुलाब क्या दु।
कौन खरीदेगा अब हीरो के दाम में तुम्हारे आसु, वो जो दर्द का सौदागर था मोहब्बत छोड़ दी उसने
જુઠા ના પડે ક્યાંક તબીબોના ટેરવાં, પ્રેમીની નાડ છે, મામુલી નસ નથી. કેવળ દવાથી રોગ અમારો નહિ મટે, સંબંધ પણ ઉમેરો જરા સારવારમાં..!!
Copyright © 2025, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser