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Dakshal Kumar Vyas

Dakshal Kumar Vyas

@dakshalkumarvyas.763509
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देश के हाल

मैं मेरे में अब जीवन सीमित है
राजनीति का दलदल अब कीचड़ है
लालच , द्वेष, घृणा से भरी मेरी सोच है
मानवता अब हर घर में शर्मशार है
मीडिया मनोरंजन का साधन है
संस्कार , संस्कृति चार दिवारी में कैद है
प्रकृति, जीव , जंतु ये सब विकास को भेंट है
रुपयों , पेसो वालो की पूछ है
बाकी देश वासी पैरों की धूल है
देश वासी नहीं नहीं
हम सब एक है
देश का ये हाल हम से है
भाषा पे दबंगाई जताते है
हर जगह आरक्षण की लूट है
सभी जातियों को अलग प्रदेश की मांग है
युवाओं का मोबाइल में ध्यान है
बूढ़े मां बाप वृद्धाश्रम के लायक है
गौरवशाली इतिहास पर सभी को गर्व है

हा ये मेरा वर्तमान देश है ।।

दक्षल कुमार व्यास

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जीवन सत्य

खुल पड़े पन्ने सारे
क्या छोड़ा क्या लिए चल रहा हूं
इस अभिमान भरी दुनिया में
आकांक्षाए पूरी करने के चक्कर में
कुछ बनने के अरमान में
कुछ करना भूल गया हूं
सत्य की राह पकड़े राखी हैं
समाज को बांधे रखा है
स्वयं भोग में
देश को परे रख दिया हैं
योगी से भोगी की दिशा में अंधेरा दिखा
उत्तर की पहाड़ियों से किरणें दिखी हैं
छोड़ दिया है जो ले चला था
सपने पूरे करने का सपना टूट गया
कुछ बनने की ज़िद त्याग दी हैं
करने का निर्णय ले लिया
देश हित में समर्पण किया

रचयता दक्षल कुमार व्यास

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झोंका
मंजिल थोड़ी दूर थी
झोंका आया उत्तर से
हिला दी नीव देश की
चक्का जाम किया विश्व का
मुंह के अलावा कुछ नही चला
पेट के अलावा कुछ नही भरा
परिवार को देखा एक जूट
गरीबों का जीवन दिखा मजबूर
मौत का तांडव दिखा
लाचारी का दृश्य मिला
प्रकृति की आवश्यकता हुई
मोर्चा संभाला सफेद कोट ने
दिल को स्थिर रख दिमाग से काम किया
मजहब को दूर रख मानवता का कार्य किया
रात दिन लगे एक ही लक्ष्य के पीछे
वैक्सीन का कवच हो सब के आगे
कईयों के परिवार गए
कईयों के रोजगार गए
कई भूखे सोए
कई पैदल घर आए
मुंह पे मुखोटा लगा सभी के
चाहे अमीर हो या गरीब
कोरोना का प्रभाव सभी को
जीवन संतुलन बिगड़ गया
खेती में ध्यान बढ़ गया
त्योहार सूखे निकल गए
विद्या मंदिर बंद पड़े
भगवान के कपाट लगा दिए
वंदना दिल से चालू थी
हाथ फेले जैसे ही
साथ देने निकल गए
मानवता का नमूना दिया
विश्व में भारत की एकता
अखंडता
नेत्वत्व
का दृश्य मिला।
दक्षल कुमार व्यास

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