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Gxpii

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@dadeye557941


कुछ अल्फ़ाज़ दिल से निकले, कुछ आँखों ने बयाँ किए,
जो कह न सके ज़ुबाँ से, वो किस्से क़लम ने बुन दिए।
मोहब्बत हो या तन्हाई, हर लफ़्ज़ में जान सी है,
हमने दर्द को भी मुस्कान बना दी, ऐसी हमारी पहचान सी है।

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वो एक मुस्कान थी, मेरी तन्हाई के लिए,
और मैं एक अश्क था, उसकी रुसवाई के लिए।

वो एक ख्वाब थी, हर नींद के बाद भी बाकी,
और मैं एक साया, जो हर सुबह से पहले भागी।

वो एक लफ़्ज़ थी, जो कभी ज़ुबां पे न आई,
और मैं एक दास्तान, जो दिल में ही रह गई।

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कभी खामोशी में भी आवाज़ सुनाई देती है,
जब दिल किसी अपने की याद में रोता है।
हर अल्फ़ाज़ में बस उसकी तस्वीर नजर आती है,
ये इश्क़ भी क्या कमबख़्त शायर बना देता है..."

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"मैं फिर भी मुस्कुरा दूँगा..."


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✍️ कविता:

टूटे सपनों की राख से,
मैं फिर एक दीप जलाऊँगा।
बिखरी हुई इन सांसों में,
एक नई सुबह बसाऊँगा।

छूटे रिश्तों की परछाइयाँ,
अब भी दिल को डराती हैं,
पर उन्हीं अधूरी बातों से,
मैं खुद को गढ़ता जाऊँगा।

जो गया, वो था जरूरी,
जो बचा, वही है जीवन।
जो बीत गया, वो सीख बना,
अब बाकी है मेरा स्वप्न।

अंधेरे जब घेरेंगे मुझको,
मैं खुद को तारा बनाऊँगा,
और रोशनी के इन टुकड़ों से,
एक नया आसमां सजाऊँगा।

मैं हार कर भी जीत लूंगा,
बस हौसलों का गीत गाऊँगा,
दर्द की इन गहराइयों में,
मैं फिर भी मुस्कुरा दूँगा…

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