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Chirag Vora

Chirag Vora Matrubharti Verified

@chiragvora055249
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अगर घर की स्त्री समझदार ना हो, तो घर टूट जाता है,, और अगर पुरुष समझदार ना हो, तो उस घर की स्त्री टूट जाती है...!!

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एक उम्र के बाद सुंदरता नही,,
सहजता आकर्षित करती है...!!

तुम मेरे कंधे पे सर रख के सोई हो,,
कुछ इस तरह के ख़्वाब थे मेरे...!!

चुप मुझसे कोई एक है,,
मैं चुप हजारों से हूँ...!!

प्रेम कभी व्यक्ति से नहीं,,
व्यक्तित्व से होता है...!!

अब ना आगे बढूँ, ना पीछे हदूँ,,
तुम से तुम तक, ठहर गया हूँ मैं...!!

फल को जन्म देने के लिए फूल का मर जाना.....
ये ही तो प्रेम है...!!

रात है और तेरी यादों का तसल्सुल इतना,,
कि नींद आये तो आँखों को बुरा लगता है...!!

हिचकियाँ फिर शुरू हो गई हैं,,
लगता है नींद से उठ गयी हो तुम...!!

दुनियां की सारी मिठाई एक तरफ़,,
तेरी जूठी चाय एक तरफ...!!