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Chandan Singh

Chandan Singh

@chandansingh1041


वो दिन फिर न आएंगे..

आम -आम से दर्द हमारे,
खास -खास लगते हैं ,
जिन्दा हो के भी जाने क्यों,
हम लाश से लगते है 1
दूरियाँ जाने क्यों रोज बढ़ती जाती है,
तो मरने वाले बंदे की हम,
आखिरी साँस से लगते हैं 11

बंद पडे है इक कमरे मे,
घूमने की आस है 1
गिरते पड़ते अंधेरे में,
जाने क्या तलाश है 1
ढुढ़ रहे हैं वो कोना हम,
जो रौशनी को लाएगा 1
अंधेरनगर के इस कैदी को,
जगत नया दिखलायेगा 1
पर जाने क्यों ये सारे सपने,
निर्जन निवास से लगते हैं 1
जिंदा होके भी जाने क्यों,
हम लाश से लगते हैं 11

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