Quotes by Bharat Bhati in Bitesapp read free

Bharat Bhati

Bharat Bhati

@bhatibharat351gmail.com085134


जमीन से आसमान तक सुरंग बना रहा था वो

गैरों के दीवारों पर कान लगा रहा था वो‚

दूसरों के मान–सम्मान को ठेस पहुंचा रहा था वो

आई जब अपनी बारी तिलमिला रहा था वो।

Bharat.

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✍️पढ़–लिख हिसाब रख किताब,
रख मान कमा सम्मान कमा‚
ज़बान में मिठास रखगर रख सके ख़ुद के‚ व्यवहार में, संस्कार रख
बात का बतंगड़ न कर, थोड़ा दूर सरक।


Bharat .

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💫यह हार एक विराम है
जीवन महासंग्राम है
तिल-तिल मिटूँगा पर दया की भीख मैं लूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।✍️

स्‍मृति सुखद प्रहरों के लिए
अपने खंडहरों के लिए
यह जान लो मैं विश्‍व की संपत्ति चाहूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।✍️

क्‍या हार में क्‍या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
संधर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही वह भी सही।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

लघुता न अब मेरी छुओ
तुम हो महान बने रहो
अपने हृदय की वेदना मैं व्‍यर्थ त्‍यागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

चाहे हृदय को ताप दो
चाहे मुझे अभिशाप दो
कुछ भी करो कर्तव्‍य पथ से किंतु भागूँगा नहीं।
वरदान माँगूँगा नहीं।।

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गुरूर हुस्न पर इतना ही कर
कि बुरा न लगे,
तू सिर्फ खूबसूरत लगे
खुदा🤲 न लगे!!

मन कटु वाणी से आहत हो, भीतर तक छलनी हो जाए।

फिर बाद कहे प्रिय वचनों का रह जाता कोई अर्थ नहीं ।

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