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गंगा की पाकीजकी भी जटाओं से बेहकर आती हैं, जब तुम अपनी भीगी जुल्फें झटकती हो तो इस बात पर भी यकीन हो जाता है। तेरी आंखों में बहोत सी बातें अधुरी है,मगर जब भी में इन आंखों में देखता हूं तो वो अधुरी बातें भी कहा पुरी कर पाता हूं। तेरी चूडीयो की खनक मुझे बारीश की बुंदों सी लगती है,जब भी तुम इन्हें खनकाती हो तो वो मीठी धुन सी लगती हैं। तेरी पायल की आवाज मेरी धड़कनों सी लगती है,जब भी तुम चलती हो तुम्हारे साथ ही तो चलती है। हवा भी जब तेरे चेहरे को छूती है तो वो भी अपना रूप बदलकर तूफ़ान में तब्दील हो जाती है। ना जाने कोनसा जादू है तेरी आवाज़ में, की जब तुम बोलती हो तो कोयल भी फीकी पड़ जाती है। तुम्हारे होठो से निकला हर वो शब्द जैसे पत्थर की लकीर बन जाता है, मेरी लाख कोशिशों के बावजूद भी ये दिल कहा इन शब्दों को मिटा पाता है। तेरे होठो की लाली भी अजीब है, ढलते सूरज सी इसमें तहजीब है। जब तुम चाहोगी तेरे पास चले आयेंगे,तुमसे दूर और जा भी कहा पाएंगे। बस इसी सोच में सुबह से शाम हो जाती है, वक्त गुजर जाता है पर वो भी अपने निशान तेरी यादों के रूप में छोड़ जाता है। - अन्""अन्त"
આંખોનું અફીણ-અશ્રુબિંદ..♥️❤️
અભાવમાં થતો ભાવ કરાવે પરમાત્મા નો સાક્ષાત્કાર 🙏🙏❤️
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