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ગૂંગળામણ ગોફણની જેમ છુટ્ટા વીંઝાતા, શબ્દોની કેવી અથડામણ, શબ્દે શબ્દે હ્ર્દય ઘવાય, ને ટીશ ઉઠે છે હૈયાવલણ, બાળ સમુ છે મન માણસનુ અનુભવે કેવી ગૂંગળામણ.. અવિરત વિચારોના વાવાઝોડા, બેઠા બેઠા કરાવે ભ્રમણ, ચહેરો તોપણ રાખે હસમુખો, જાણે શાંત સમરાંગણ, બાળ સમુ છે મન માણસનુ અનુભવે કેવી ગૂંગળામણ.. રમાતી લાગણીની રમતો, શ્ર્વાસે-શ્ર્વાસે ભરી સ્વાર્થ-ધમણ, પારકુ જણ પોતીકુ લાગે, ને પોતિકાનુ છે લાગે ગ્રહણ, બાળ સમુ છે મન માણસનુ અનુભવે કેવી ગૂંગળામણ.. વાણી વહે જાણે-અજાણે ક્યાં, અંદેશો નથી એને કાંઈ પણ, સાંભળે, સમજી પણ શકે છે, પણ બોલ્યા જ કરવાનુ વળગણ, બાળ સમુ છે મન માણસનુ અનુભવે કેવી ગૂંગળામણ.. -પ્રતિક "શૂન્યમનસ્ક"
लिखता हु, हां, मैं डायरी लिखता हु, मुझे जगाने को मंदिर मे पूजा करते करते दी गई मां की आवाज़े लिखता हु, खिडकी पे आके फरफराते, गुनगुनाते कबूतरो कि मुझे जगाने की नाकाम कोशिशे लिखता हु, हररोज प्रकृति से हुइ बातो के शब्द लिखता हु, सवेरे-सवेरे इश्वर से कि गई प्राथनाएं लिखता हु, घर से निकलते समय मां के पैर छुकर पाए हुए आशीर्वाद लिखता हु, लिखता हु, हां, मैं डायरी लिखता हु, लोगों से की गई गुफ्तगूं से बोल लिखता हु, पहेचान वाला हो कोइ तो पूछके उनसें खबर-अंतर लिखता हु, न मिले अगर जाना-पहचाना कोइ, "सब जानते हे मुझे" का चूर हुआ भ्रम लिखता हु, दोस्त मिल जाए तो साथ मिल उसके, जंजोडी गई यादो का कांरवा लिखता हु, लिखता हु, हां, मैं डायरी लिखता हु, दिन पूरा की हुई महेनत और थकान लिखता हु, सहकर्मीओ से किए गए मस्ती-मजाक, व्यंग, और निरर्थक चर्चाए लिखता हु, टिफन मे भरे मां के हाथो के खाने का स्वाद लिखता हु, बेरहम मालिको के नीचे अन्याय से कुचले गए मजदूरों की फरियादे लिखता हु, कुछ न कर पाने की खुद की मजबूरियां लिखता हु, कुछ कर जाने का खुद को दिया दिलासा लिखता हु, लिखता हु, हां, मैं डायरी लिखता हु, वापिस आते समय फिरसे आनेवाले उजाले की धमकी देकर डराये हुए अंधकार को लिखता हु, फिरसे घर की और ले जा रहे रास्ते कि दिशाए लिखता हु, लिखता हु, हां, मैं डायरी लिखता हु, छतवाले घरमे होने की वजह से, रात को चांद-तारे कम देखने का अफसोस लिखता हु, फिर सोता हु, सपनो मे "उनके" आने का इंतज़ार लिखता हु, लिखता हु, हां, मैं डायरी लिखता हु, सूरज जलने से लेकर चांद की ठंडी चांदनी तक जिए गए लम्हों को लिखता हु, पढने को ये डायरी मेरी, मेरे अंदर जांखना होगा, कयुंकि मैं मन के कागज पे संवेदना की श्याही से लिखता हु, लिखता हु, हां, मैं डायरी लिखता हु। - प्रतिक "शून्यमनष्क"
"હું છું" અને "હું જ છું", વચ્ચે નો ભેદ જો સમજુ છું, તો જ "હું છું", નહિતર, "હું છુઉઉઉ"... -પ્રતિક શૂન્યમનસ્ક
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