Quotes by Atul Singh in Bitesapp read free

Atul Singh

Atul Singh Matrubharti Verified

@atul.singh


कुटिया में रहता था, फिर भी स्वस्थ था।
महलों में रहता है, फिर भी अस्वस्थ है।।
ज़मीं पर सोता था, संतुष्टि ज़हन में थी।
ठंडई ले सोता है, असंतुष्टि ज़हन में है।।

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“छलका आंसू जब आँखों से।
तब जागा मेरा हृदय विलम्ब।।”

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“प्यार देख, दो हंसों का, नग्न हुई अब उसकी आँखें।
मर्यादा लाँघ कर निकला, करने एक अविलम्ब अनर्थ।।”

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“प्यार देख, दो हंसों का, नग्न हुई अब उसकी आँखें।
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“काली आँधी बनकर आया, करने एक अनर्थ।
सफ़ेदी का लेप लगाकर, लौटा वह असमर्थ।।”

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कहने को तो दुनिया रहस्यों से भरी है।
गहराइयों में उतरो तो सिर्फ़ एक फुलझड़ी है।।

मन में अशांति थी, ‘व्क्रिशिदं’
सिर्फ़ एक झूँठ से।
दरिया भी बिलख उठी,
हवा की एक फूँक से।।