The Download Link has been successfully sent to your Mobile Number. Please Download the App.
Continue log in with
By clicking Log In, you agree to Matrubharti "Terms of Use" and "Privacy Policy"
Verification
Download App
Get a link to download app
"एक बात बता..... क्या तुझे भी ऐसा लग रहा है कि हम जितने आसानी से बच गए हैं..... इतनी आसानी से हम बच जाएंगे....या बच चुके हैं...." अभिनव, आदित्य के कान में कुछ घुस आया था। " पता नहीं......मुझे तो इतना तो जरूर लग रहा है कि हम बचे ,नहीं बल्कि फंसे हैं.... अब तो यह हमारे पिताश्री ही जानेंगे..... उन्होंने हमारे लिए कौन सी सजा सोच रखी है ....तुझे कुछ अंदाजा है...." अभिनव ने अपने आगे बैठे हुए रणविजय को केहुनी से हिलाते हुए पूछा। "चुपचाप शांति से दो मिनट नहीं बैठ सकते ...अगर इन लोगों ने हमारे लिए कोई सजा नहीं सोच कर ही रखी होगी तो तुम्हारी हरकतों से यह हमें सजा देने के लिए मजबूर हो जाएंगे....." रणविजय में थोड़े गुस्से वाले स्वर में आदित्य और अभिनव से कहा । रणविजय की बात सुनकर दोनों चुपचाप मुंह पर उंगली रखकर अच्छे बच्चों की तरह बैठ गए। उधर अदम्य पहले ही गौर से.. दरवाजे की तरफ देख रहा था। यह चारों राणावत हाउस में बैठे हुए...... अपने अपने पिताश्री के आने की -Akash Sonkar
धन से ना दुनिया से . घर से ना द्वार से। सांसो की डोर बंधी है.. प्रीतम की प्यार से.... क्या बचता है जब कोई खुद इस डोर को तोड़ देता है ?... और फिर भी यही कहता है हम बेवफा ना थे... -Akash Sonkar
Copyright © 2024, Matrubharti Technologies Pvt. Ltd. All Rights Reserved.
Please enable javascript on your browser