Quotes by Ashok Kumar in Bitesapp read free

Ashok Kumar

Ashok Kumar

@ashokkumar2991


शादी की बारात की दावत चल रही थी। महम❤❤❤❤🌹🌹 मिल जाती है कितनो को ख़ुशी, मिट जाते हैं कितनो के गम, मैसेज इसलिये भेजते है हम, ताकि न मिलने से भी अपनी दोस्ती न हो कम. ❤❤❤❤🌹🌹

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राकेश: यार नरेश आजकल तेरी गर्लफ्रेंड तुझसे बात क्यूं नहीं करती? नरेश: क्या करें यार, वो रुठ कर कहती है हमसे, तुम्हारा तो मिलना कम हो गया है, उस पगली को कौन समझाए कि पेट्रोल महंगा हो गया है.

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उन दिनों महादेव गोविंद रानडे हाई कोर्ट के जज थे। उन्हें भाषाएँ सीखने का बड़ा शौक था। अपने इस शौक के कारण उन्होंने अनेक भाषाएँ सीख ली थीं; किंतु बँगला भाषा अभी तक नहीं सीख पाए थे। अंत में उन्हें एक उपाय सूझा। उन्होंने एक बंगाली नाई से हजामत बनवानी शुरू कर दी। नाई जितनी देर तक उनकी हजामत बनाता, वे उससे बँगला भाषा सीखते रहते। रानडे की पत्नी को यह बुरा लगा। उन्होंने अपने पति से कहा, आप हाई कोर्ट के जज होकर एक नाई से भाषा सीखते हैं। कोई देखेगा तो क्या इज्जत रह जाएगी आपको बँगला सीखनी ही है तो किसी विद्वान से सीखिए। रानडे ने हँसते हुए उत्तर दिया, मैं तो ज्ञान का प्यासा हूँ। मुझे जाति-पाँत से क्या लेना-देना ? यह उत्तर सुन पत्नी फिर कुछ न बोलीं। ज्ञान ऊँच-नीच की किसी पिटारी में बंद नहीं रहता।

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एक भिखारी था | वह न ठीक से खाता था, न पीता था, जिस वजह से उसका बूढ़ा शरीर सूखकर कांटा हो गया था | उसकी एक - एक हड्डी गिनी जा सकती थी | उसकी आंखों की ज्योति चली गई थी | उसे कोढ़ हो गया था | बेचारा रास्ते के एक ओर बैठकर गिड़गिड़ाते हुए भीख मांगा करता था | एक युवक उस रास्ते से रोज निकलता था | भिखारी को देखकर उसे बड़ा बुरा लगता | उसका मन बहुत ही दुखी होता | वह सोचता, वह क्यों भीख मांगता है? जीने से उसे मोह क्यों है? भगवान उसे उठा क्यों नहीं लेते? एक दिन उससे न रहा गया |? वह भिखारी के पास गया और बोला - बाबा, तुम्हारी ऐसी हालत हो गई है फिर भी तुम जीना चाहते हो तुम भीख मांगते हो, पर ईश्वर से यह प्रार्थना क्यों नहीं करते कि वह तुम्हें अपने पास बुला ले? भिखारी ने मुंह खोला - भैया तुम जो कह रहे हो, वही बात मेरे मन में भी उठती है | मैं भगवान से बराबर प्रार्थना करता हूं, पर वह मेरी सुनता ही नहीं | शायद वह चाहता है कि मैं इस धरती पर रहूं, जिससे दुनिया के लोग मुझे देखें और समझें कि एक दिन मैं भी उनकी ही तरह था, लेकिन वह दिन भी आ सकता है, जबकि वे मेरी तरह हो सकते हैं | इसलिए किसी को घमंड नहीं करना चाहिए | लड़का भिखारी की ओर देखता रह गया | उसने जो कहा था, उसमें कितनी बड़ी सच्चाई समाई हुई थी | यह जिंदगी का एक कड़वा सच था, जिसे मानने वाले प्रभु की सीख भी मानते हैं |

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बहुत समय पहले की बात है एक जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे| जंगल के बीच में एक बहुत बड़ा तालाब था जहाँ से जानवर पानी पीते थे| इस तालाब के किनारे पर एक पपीते का बहुत ऊँचा पेड़ था उस पर बहुत बड़े बड़े पपीते लगते थे| एक बार कुछ खरगोश पानी पी कर तालाब के किनारे पर खेल रहे थे| एक पका हुआ बड़ा सा पपीता टूट कर पानी में गिर गया जिस से बहुत जोर की आवाज आई गडम करके| गडम की आवाज सुन कर खरगोश डर गए और भाग निकले| खरगोशों को भागते हुए देख कर एक लोमड़ी ने पूछा क्यों भाई क्या बात है क्यों भाग रहे हो खरगोश ने कहा गडम आ रहा है भागो| लोमड़ी भी उनके साथ भाग ली| आगे चल कर उनको एक हाथियों का झुण्ड मिला| एक हाथी ने पूछा क्यों भाग रहे हो तो उत्तर मिला गडम आ रहा है भागो|

✶✶✶ हाथी भी साथ भागने लगे| धीरे धीरे गडम आ रहा है सुन कर बहुत सारे जानवर एकसाथ भागने लगे| यह जानवरों का झुण्ड जब बब्बर शेर की मांद के पास से दौड़ रहा था तो शेर ने पूछा क्यों भाग रहे हो| उत्तर मिला गडम आ रहा है भागो|जैसे ही एक शेर भागने को तयार हो रहा था तो दूसरे शेर ने कहा तुम क्यों भाग रहे हो तुम तो जंगल के राजा हो| तुम्हारे पास शक्तिशाली पंजे हैं तुम जिसे चाहो अपने पंजों से चीर सकते हो| भागने से पहले सच्चाई तो जानलें| इस पर शेर ने एक जानवर से पूछा कि तुम्हें किसने कहा कि गडम आरहा है तो उसने कहा मुझे तो हाथी ने कहा| हाथी से पूछा तो उसने कहा मुझे तो लोमड़ी ने कहा| लोमड़ी ने कहा मुझे तो खरगोश ने कहा था| जब खरगोश से पूछा तो उसने कहा हम जहाँ पर खेल रहे थे वहां पर गडम की आवाज आई थी जिस को सुन कर हम भागे थे| शेर ने कहा मुझे उस स्थान पर ले चलो| सभी उस स्थान की ओर चल पड़े| जैसे ही सभी जानवर तालाब के किनारे पर पहुंचे एक बड़ा सारा पपीता टूट कर पानी में गिर गया और बहुत जोर से गडम की आवाज आई| शेर ने कहा यह तो पानी की आवाज है जो पपीते के गिरने से हुई| खरगोश ने कहा हम तो यही आवाज सुनकरकर ही डर के मारे भागे थे| तब शेर ने समझाया कि इसमें डरने की कोई बात नहीं है| यह सब सुनी सुनाई बात से हुआ है| शेर ने कहा आगे से कभी भी सुनी सुनाई बात पर विश्वास मत करना|

समाप्त

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