Quotes by Ashish Bhatt in Bitesapp read free

Ashish Bhatt

Ashish Bhatt

@ashishbhatt6935


क़िस़्स़े बनेंगे अब के बरस भी कमाल के
पिछला बरस तो गया है कलेजा निकाल के

तुमको नया ये साल मुबारक हो दोस्तों
मैं जख़्म गिन रहा हूँ अभी पिछले साल के

फिरते थे जिनकी गर्दनों में हाथ डाल के
वो दोस्त सभी हो गए हैं अब साठ साल के

माना कि जिंदगी से बहुत प्यार है मगर
कब तक रखोगे काँच का बर्तन संभाल के

ऐ मीर-ए-कारवां मुझे मुड़ कर ना देख तू
मैं आ रहा हूँ पाँव के काँटे निकाल के

अपनी त़रफ़ से सबकी दलीलों को टाल के
मनवा ले अपनी बात को सिक्का उछाल के

ये ख़त़ किसीको ख़ून के आँसू रुलाएगा
काग़ज़ पे रख दिया है कलेजा निकाल के

बरसों से हम ने आज तक बदला नहीं ख़ुदा
हम लोग भी हैं कितने पूराने ख़्याल के

આશુ

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